अदालत में दलील के दौरान पति को ‘नपुंसक’ बताना मानहानि हो सकती है : बॉम्बे हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]
‘नपुंसक’शब्द को जब उसके अपने सादे और व्याकरणिक अर्थ में समझा जाता है, तो यह किसी व्यक्ति के मनोदशा पर प्रतिकूल रूप से प्रतिबिंबित होता है और ऐसी स्थिति बन सकती है की उसव्यक्ति का दूसरे लोग उपहास करें।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिका में पति को नपुंसक बताना 'मानहानि' हो सकती है।
एक पति ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में उसे नपुंसक बताकर उसकी मर्दानगी पर ऊँगली उठाई है
इस याचिका पर मजिस्ट्रेट ने पत्नी को सम्मन जारी किया जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय ने पत्नी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि जब भी मुकदमेबाजी में कोई आरोप सही साबित होता है, तो यह आईपीसी की धारा 499 के अर्थ में मानहानि के तहत नहींआता है।
यह भी तर्क दिया गया था कि जब किसी दायर शिकायत का आधार सिविल कार्यवाही में दायर कोई शिकायत हो तो अगर यह गलत पाया गया, तो यह अपराध आईपीसी की धारा 500 केतहत दंडनीय मानहानि नहीं होगा, लेकिन झूठी गवाही देने का अपराध आईपीसी की धारा 193 के तहत दंडनीय है।
इस बारे में दी गई दलील को अस्वीकार करते हुए, अदालत ने कहा : “…यदि गैर आवेदक यह कहता है कि इस शब्द का इस्तेमाल किसी अन्य अर्थ में किया गया है, तो भी यह गैर-आवेदक की गर्भधारणा की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली स्थिति की ओर इशारा करता है और इसे सबूत के साथ साबित करना होगा। पर इस स्तर पर, स्पष्ट रूप से शब्द द्वारा इंगित अर्थ को लेना होगा जैसा कि यहहै… इसलिए, यह अपराध आईपीसी की धारा 500 के तहत दंडनीय है।”
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि याचिका में पति को नपुंसक बताना 'मानहानि' हो सकती है।
एक पति ने मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में उसे नपुंसक बताकर उसकी मर्दानगी पर ऊँगली उठाई है
इस याचिका पर मजिस्ट्रेट ने पत्नी को सम्मन जारी किया जिसे उसने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
उच्च न्यायालय ने पत्नी के वकील की इस दलील को खारिज कर दिया कि जब भी मुकदमेबाजी में कोई आरोप सही साबित होता है, तो यह आईपीसी की धारा 499 के अर्थ में मानहानि के तहत नहींआता है।
यह भी तर्क दिया गया था कि जब किसी दायर शिकायत का आधार सिविल कार्यवाही में दायर कोई शिकायत हो तो अगर यह गलत पाया गया, तो यह अपराध आईपीसी की धारा 500 केतहत दंडनीय मानहानि नहीं होगा, लेकिन झूठी गवाही देने का अपराध आईपीसी की धारा 193 के तहत दंडनीय है।
इस बारे में दी गई दलील को अस्वीकार करते हुए, अदालत ने कहा : “…यदि गैर आवेदक यह कहता है कि इस शब्द का इस्तेमाल किसी अन्य अर्थ में किया गया है, तो भी यह गैर-आवेदक की गर्भधारणा की प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली स्थिति की ओर इशारा करता है और इसे सबूत के साथ साबित करना होगा। पर इस स्तर पर, स्पष्ट रूप से शब्द द्वारा इंगित अर्थ को लेना होगा जैसा कि यहहै… इसलिए, यह अपराध आईपीसी की धारा 500 के तहत दंडनीय है।”