स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजनाओं का सख्ती से पालन करना होगा; इस तरह की योजनाओं में अन्य योजनाओं के हिस्सों को शामिल नहीं किया जा सकता : सुप्रीम कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-10-28 17:41 GMT

नियोक्ता जो पेशकश करता है वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजनाओं का एक पैकेज हैऔर सिर्फ उसी पर गौर किया जा सकता है”

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजनाओं का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और अगर दूसरी योजनाओं की बातों को इस योजना में शामिल किया गया तो इस योजना का जो उद्देश्य है वह पूरा नहीं होगा।

न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के संगठनों की अपीलों पर विचार के क्रम में यह बात काही। इन कर्मचारियों ने जनरल इंश्योरेंस कर्मचारी की विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (एसवीआरएस), 2004 का लाभ उठाया था। इन कर्मचारियों का कहना था कि वे लोग भी जनरल इंश्योरेंस (कर्मचारी) पेंशन योजना, 1995 के तहत मिलने वाले कुछ लाभों के हकदार हैं। 1995 की योजना के तहत सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी की योग्यता सेवा में कुछ शर्तों के अधीन पांच वर्ष से अधिक की वृद्धि नहीं की जाएगी।

सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष मुद्दा यह था कि एसवीआरएस -2004 योजना के तहत लाभार्थियों को 1995 की योजना का लाभ दिया जा सकता है या नहीं।

विभिन्न निर्णयों का जिक्र करते हुए और उठाए गए सवाल का अध्ययन करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि शर्तों के अनुसार, वैधानिक योजना सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी है। पीठ ने बीमा कंपनियों की इस दलील को माना कि अगर एक बार आप किसी योजना को मान लेते हैं तो उसका लाभ उठा लेते हैं तो फिर इस योजना के बाहर जाकर आप कोई विवाद या मुद्दा नहीं उठा सकते।

उनकी अपील खारिज करते हुए अदालत ने कहा : “कर्मचारी सब कुछ सोच समझकर इस तरह की किसी एक योजना का लाभ उठाते हैं, …वे एसवीआरएस -2004 योजना का लाभ उठाते हुए अन्य योजनाओं में और अधिक लाभी की तलाश नहीं कर सकते”।


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