तापी सहित सभी नदियों में मूर्ति विसर्जन पर गुजरात हाईकोर्ट का रोक [निर्णय पढ़ें]
गुजरात हाईकोर्ट ने तापी और अन्य प्राकृतिक नदियों में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगा दी है। तापी नदी सूरत से गुजरती है। हाईकोर्ट ने अथॉरिटीज को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सिर्फ गणेश विसर्जन के दौरान ही नहीं बल्कि इसी तरह के अन्य मौकों जैसे दुर्गा पूजा, जन्माष्टमी के दौरान भी इन नदियों में मूर्तियों का विसर्जन नहीं किया जाए।
यह आदेश पास करते हुए मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और विपुल एम पंचोली की पीठ ने इससे पहले सूरत नगर निगम की इस अपील को सही ठहराया जिसमें लोगों से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले तरीके से मूर्तियों का विसर्जन करने को कहा था।
कोर्ट ने यह आदेश सूरत सिटीजन्स कौंसिल ट्रस्ट की याचिका पर दिया।
ट्रस्ट के वकील अमित वी ठक्कर ने गुजरात से गुजरने वाली राज्य की सबसे बड़ी नदी में मूर्ती का विसर्जन नहीं करने और सीपीसीबी के दिशानिर्देशों को मानने के बारे में आदेश जारी करने को कहा। इस याचिका में लोगों को अस्थाई तालाबों में मूर्तियों का विसर्जन करने के लिए आदेश दिए जाने की मांग की थी।
ठक्कर ने कोर्ट से कहा कि सूरत शहर में 2017 में 60 हजार गणेश मूर्तियाँ बैठाई गई थीं और इनमें से अधिकाँश मूर्तियों को तापी नदी में विसर्जित किया गया ऐसा अनुमान है जिसके कारण सूरत के लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गड़बड़ियाँ होने के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है।
कोर्ट में हुई बहस के दौरान उन्होंने कोर्ट को सूरत नगर निगम के उस आदेश के बारे में भी बताया जिसमें तापी नदी में मूर्तियों के विसर्जन पर रोक लगाने की बात कही गई थी।
इन बातों पर गौर करने के बाद कोर्ट ने निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किये –
(i) तापी नदी में मूर्तियों के विसर्जन के बारे में सूरत नगर निगम के आदेश का हम संज्ञान लेते हैं।
(ii) अथॉरिटीज को यह सुनिश्चित करना है कि गणेश विसर्जन ही नहीं, बल्कि किसी भी पूजा के दौरान तापी सहित किसी भी नदी में लोगों को मूर्ति विसर्जन की अनुमति नहीं दी जाए। इसमें जन्माष्टमी दुर्गा पूजा आदि भी शामिल हैं।
(iii) नगर निगम हर क्षेत्र में मूर्ति विसर्जन के लिए बनाए गए विशेष तालाब का लोगों में व्यापक प्रचार -प्रसार करेगा।
(iv) तापी सहित अन्य नदियों में मूर्ती विसर्जन रोकने के बारे में नगर निगम अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन देकर लोगों में इस बारे में जागरुकता पैदा करेगा।
(v) मूर्ति बनाने वालों को पर्यावरण को मदद करने वाली मूर्तियां बनाने के बारे में जागरूक बनाने के लिए सम्बंधित अथॉरिटीज अभियान चलाएंगें।
(vi) संबंधित प्रतिवादी मूर्ति विसर्जन के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जून 2010 में जारी दिशानिर्देशों का सभी समुदायों के धार्मिक त्योहारों पर लागू करेगा।