उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से ड्यूटी के दौरान मारे गए डॉक्टर की विधवा को 1.90 करोड़ रुपए देने को कहा [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-09-14 06:44 GMT

कोर्ट ने कहा : सिर्फ पुलिस अधिकारी की ही ड्यूटी पर मौत नहीं होती है

 उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए डॉक्टरों को भी अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है। बुधवार को कोर्ट ने राज्य सरकार को ड्यूटी के दौरान मारे गए डॉक्टर की विधवा को 1.90 करोड़ रुपए देने का आदेश दिया है। इस डॉक्टर को जसपुर में 20 अप्रैल 2016 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर उस समय गोली मार दी गई थी, जब वह मरीज का इलाज कर रहे थे।

 न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की पीठ ने मृत डॉक्टर सुनील कुमार की विधवा सरिता सिंह को इसके अलावा उतर प्रदेश लोक सेवा आयोग (अति विशिष्ट पेंशन) (प्रथम संशोधन) नियम, 1981 के तहत विशिष्ट पेंशन भी देने को कहा।

 कोर्ट ने यह आदेश सरिता सिंह की याचिका पर दी है। याचिका में कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने उन्हें 50 लाख रुपए देने के घोषणा की थी पर अभी याचिकाकर्ता को सिर्फ एक लाख रुपया ही दिया गया है।

 पीठ ने निम्नांकित निर्देश देते हुए मामले का निस्तारण कर दिया -




  1. A.राज्य सरकार याचिकाकर्ता को1,99,09,000 रुपए और इस पर इस याचिका के दाखिल किये जाने की तिथि से 7।5 प्रतिशत की दर से इस पर ब्याज देगा।

  2. B.राज्य सरकार याचिकाकर्ता को अतिविशिष्ट पेंशन बकाये पर 8।5 प्रतिशत की ब्याज की दर से आज से दस सप्ताह के भीतर देना शुरू करेगा।

  3. C.उत्तराखंड सरकार उत्तराखंड मेडिकेयर सर्विस पर्सन्स एंड इंस्टीच्यूशन्स (प्रिवेंशन ऑफ़ वायलेंस एंड डैमेज तो प्रोपर्टी) एक्ट 2013 को पूरी तरह लागू करेगा।


शिशु विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार को मानिक राठी और शुभम त्यागी नामक मोटरसाइकिल सवार दो लोगों ने जसपुर (यूएस नगर) के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 20 अप्रैल को गोली मार दी थी। इन लोगों ने ऐसा राठी की नाबालिग लड़की की मौत का बदला लेने के लिए किया था।

 याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया की राज्य सरकार ने डॉक्टर की विधवा को 50 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की थी, पर अभी तक उसे सिर्फ एक लाख रुपए ही दिए गए हैं और उसके बड़े बेटे को राज्य पॉलिटेक्निक में ठेके पर लेक्चरर की नौकरी दी गई है।

 याचिकाकर्ता ने कहा की डॉक्टर कुमार 2025 में रिटायर होने वाले थे और कुछ ही दिनों में वे मुख्य चिकित्सा अधिकारी बनाने वाले थे।

 राज्य सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा की डॉक्टर की विधवा को 76, 409 रुपए पेंशन दिए जा रहे हैं।

 “याचिकाकर्ता का पति अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान मारा गया इसलिए याचिकाकर्ता विशिष्ट पेंशन का अधिकारी है। राज्य का यह कहना की विशिष्ट पेंशन का यह नियम इस मामले में लागू नहीं होता, उचित दलील नहीं है। किसी नियम को बनाने का उद्देश्य अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए मरने वाले कर्मचारियों के परिवार को मदद पहुंचाना है,” कोर्ट ने कहा।

 सिर्फ पुलिस अधिकारी ही काम करने के दौरान नहीं मरते  

 कोर्ट ने कहा, “...डॉक्टर भी ड्यूटी करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालते हैं।।।सिर्फ पुलिस अधिकारी ही ड्यूटी करते हुए अपनी जान नहीं देते हैं।”


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