एक ऐसा अधिवक्ता जो दुर्घटना के एक मामले में आरोपी और मुआवजा पाने वाले दोनों की पैरवी कर रहा था;इलाहाबाद हाईकोट ने जारी किया नोटिस [आर्डर पढ़े]
वकीलों के गैर-पेशेवर व्यवहार के बहुतेरे उदाहरण हैं। पर इस तरह के मामले कम होंगें जब एक ही वकील मुद्दई के लिए काम करे और मुद्दालह के लिए भी। मोटर वाहन दुर्घटना के एक मामले में ऐसा ही हुआ। वकील आरोपी की पैरवी कर ही रहा था, वह इस मामले में मुआवजे की मांग कर रहे माँ-बाप का भी वकील था जिसके बेटे की दुर्घटना में मौत हो गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक कुमार टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की एक अपील पर सुनवाई कर रहे थे। कंपनी को एमएसीटी ने उस व्यक्ति के माँ-बाप को 6.60 लाख रुपए देने का आदेश दिया था जिसकी गत वर्ष एक टेम्पो के साथ हुई टक्कर में मौत हो गई थी।
अपील की सुनवाई के दौरान, बीमा करने वाले के वकील प्रांजल मेहरोत्रा ने कहा कि अधिवक्ता शोभाराम कुशवाहा ने आरोपी बबलू की पैरवी की थी जो कि उस टेम्पो का मालिक है और टेम्पो चालक दिनेश चन्द्र का पक्ष भी उसी ने कोर्ट के समक्ष पेश किया था। और अब वह मुआवजे के दावेदार की भी पैरवी कर रहा है।
उन्होंने कहा कि कुशवाहा का ऐसा करना स्थापित क़ानून के खिलाफ है।
“बीमा कंपनी ने इस तथ्य से अधिकरण को अवगत कराया। अधिकरण ने इस मामले की ठीक से जांच नहीं की और इस अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया है कि शोभाराम कुशवाहा गलत है,” न्यायमूर्ति कुमार ने कहा।
कोर्ट ने इसके बाद कुशवाहा को नोटिस जारी किया जिसकी तामील सीजेएम, आगरा के माध्यम से किया जाएगा और कुशवाहा को निर्देश दिया गया है कि वह 13 अगस्त को हाईकोर्ट में पेश हो।
इस मामले में इरादतनगर, उत्तर प्रदेश के रहने वाले कमल सिंह की 6 जनवरी 2017 को टेम्पो से टक्कर लगने के कारण मौत हो गई थी।
कमल की जिस समय मौत हुई उसकी उम्र उस समय 38 साल थी और हर महीने 10 हजार रुपए कमाता था। उसकी माँ सोनदेवी और पिता भगवन सिंह ने एमएमसीटी में मुआवजे के लिए दावा किया।
अधिकरण ने टाटा एआईजी को 6।60 लाख रुपए देने का आदेश दिया।
अधिकरण को भी बीमा कंपनी ने कहा कि इस मामले में एफआईआर अनाम व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज किया गया है और इसमें आरोपी और जिस वाहन से टक्कर हुई उसके बारे में विस्तार से कुछ भी नहीं कहा गया है।
यह भी कहा गया कि ऐसा लगता है कि आरोपी और अधिवक्ता के बीच कोई सांठगांठ है जो कि दावेदार की पैरवी भी कर रहा है।