किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ गठित मामले को सीपीसी की धारा 80 को नहीं माने जाने के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता : केरल हाईकोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2018-06-29 04:54 GMT

केरल हाईकोर्ट ने थॉमस चेरियन बनाम कुरियन मैथ्यू मामले में कहा कि किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ गठित मामले में अगर नागरिक प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 80 का पालन नहीं होता है तो इस आधार पर इस मामले को निरस्त नहीं किया जा सकता।

वर्तमान मामले में  निचली अदालत ने धारा 80 का पालन नहीं किये जाने के कारण इसके बावजूद कि इसका पहला प्रतिवादी एक निजी व्यक्ति था, सभी प्रतिवादियों के खिलाफ मामले को पूरी तरह खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति पी सोमराजन ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि निजी व्यक्ति के खिलाफ गठित मामले में धारा 80 के प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सकता।

“अगर किसी मामले को सीपीसी की धारा 80 के तहत खराब पाया जाता है तो वह उसी सरकारी अधिकारी, राज्य सरकार या केंद्र सरकार के खिलाफ ही कायम रह सकता है। अगर कोई मामला किसी निजी व्यक्ति और धारा 80 के तहत आने वाले व्यक्ति (सरकारी अधिकारी, राज्य सरकार या केंद्र सरकार) के खिलाफ दायर किया गया है तो न तो उस मामले को पूरी तरह से ख़ारिज करने की अनुमति है और न ही ऐसा करने की सलाह दी जा सकती है। धारा 80 के तहत किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ गठित मामले को ख़ारिज नहीं किया जा सकता...”

इस बारे में न्यायमूर्ति सोमराजन ने कहा, “धारा 80 के प्रावधान सतर्कता से जुड़ा हुआ है...इसका उद्देश्य किसी महत्त्वपूर्ण अधिकार को न तो पराजित करने का है और न ही उसको न देने का है। धारा 80 के तहत प्रतिबन्ध सिर्फ केंद्र सरकार, राज्य सरकार या एक सार्वजनिक अधिकारी के खिलाफ पर लागू होता है उसी सन्दर्भ में अगर ऐसा माना जाता है कि उसने अपने पद पर रहते हुए ऐसा किया है।”

इस स्थिति में कोर्ट ने कहा कि उस स्थिति तक कि यह मामला एक निजी व्यक्ति से संबंधित है, इस मामले को जारी रहना चाहिए बशर्ते कि इसको कोई ख़ारिज करने के कोई आधार न हों। कोर्ट ने कहा, “निचली अदालत को इस मामले को निरस्त नहीं करना चाहिए था।”


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