मां के यह कहने पर कि उसके बेटे को ट्रांसजेंडरों ने अपने जाल में फंसा लिया है, केरल हाईकोर्ट ने 25 वर्षीय युवक की मेडिकल जांच का आदेश दिया; मां को जबरन सेक्स परिवर्तन का अंदेशा
अपने तरह के एक अलग मामले में केरल हाईकोर्ट ने एक 25 वर्षीय युवक के मनोचिकित्सकीय और मेडिकल जांच का आदेश दिया। इस युवक की मां ने यह कहते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दी थी कि उसको अंदेशा है कि उसके बेटे को ट्रांसजेंडरों के गिरोह ने फंसा लिया है और वह इस तरह से व्यवहार कर रहा है जैसे वह ट्रांसजेंडर हो। मां ने आशंका जाहिर की कि ये लोग उसके बेटे की मानसिक गड़बड़ी का फ़ायदा उठा रहे हैं और उसके जननांगों को वे बदलवा सकते हैं।
न्यायमूर्ति वी चितम्बरेश और न्यायमूर्ति केपी ज्योतिन्द्रनाथ की पीठ ने इस युवक की जांच कराने के आदेश दिए। युवक की मां ने अदालत से अनुनय किया कि उसका बेटा कुछ ट्रांसजेंडरों के प्रभाव में आकर घर से चला गया और अब उसे घर वापस नहीं आने दिया जा रहा है।
महिला ने अपील की कि उसके बेटे को उसको सौंप दिया जाए क्योंकि उसको उसके मानसिक गड़बड़ी के शीघ्र इलाज की जरूरत है।
यह याचिका एर्नाकुलम जिला की रहने वाली महिला ने दायर किया है। महिला ने कहा कि उसके बेटे को मानसिक गड़बड़ी का अंदेशा होने पर स्टेला मारिस हॉस्पिटल में एक महीने से कुछ कम समय तक 2017 में इलाज कराया गया।
महिला ने कहा कि मार्च 2018 में उसने और उसके पति ने अपने बेटे के स्वभाव में अस्वाभाविक परिवर्तन पाया और यह भी कहा की उसने कुछ ट्रांसजेंडरों से दोस्ती कर ली।
महिला ने कहा कि उसका बेटा मनोचिकित्सक के पास जाने का विरोध करता है और 5 अप्रैल को वह घर से निकल गया लेकिन बाद में वापस आया और फिर 9 मई को घर छोड़कर चला गया।
इस बारे में कलमसेरी थाने में एक रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई। पुलिस द्वारा बुलाये जाने पर उसके बेटे ने कहा की वह ट्रांसजेंडर है और वह अपने मां-बाप के साथ नहीं रहना चाहता।
19 मई को पुलिस ने याचिकाकर्ता को बताया कि वे उसके बेटे को अलुवा के मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करेंगे। वह भी उस दिन कोर्ट पहुँची और वहाँ अपने बेटे को महिलाओं के वेष में देखा। उसने मजिस्ट्रेट को उसके मानसिक गड़बड़ी के शिकार होने की बात कही और उसका इलाज कराये जाने की मांग की।
महिला ने कहा की मजिस्ट्रेट ने उसकी अपील पर गौर किये बिना उसके बेटे को छोड़ दिया।
महिला ने कहा कि उसका बेटा किसी भी तरह से ट्रांसजेंडर नहीं है और ट्रांसजेंडरों के प्रभाव में आकर उसने अपना नाम बदलकर अरुंधती रख लिया है।
महिला ने कोर्ट से कहा की 22 मई को उसके बेटे ने उसको फोन करके कहा कि एर्नाकुलम का ट्रांसजेंडर समूह उसको अपने घर वापस नहीं लौटने दे रहा है।
उसने कोर्ट से अपील की कि वह राज्य के पुलिस महानिदेशक, आयुक्त और सरकार को उसके बेटे को ढूंढने और कोर्ट में लाने का आदेश दे।