नोटबंदी के बाद मनी लांड्रिन्ग मामला : दिल्ली हाईकोर्ट ने वकील रोहित टंडन को जमानत दी [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-05-12 05:53 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने नोटबंदी के बाद मनी लांड्रिन्ग के आरोप में गिरफ्तार वकील रोहित टंडन को जमानत दे दी है। एक छापे में उनकी लॉ फर्म के ग्रेटर कैलाश कार्यालय से अवैध रूप से 13.6 करोड़ रुपये के पुराने व नए बैंक नोटों की बरामदी के बाद गिरफ्तार किया गया था। वह तब से हिरासत में थे।

पहले उनके द्वारा दायर किए गए जमानत आवेदनों को न्यायमूर्ति एसपी गर्ग के साथ- साथ  सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने भी खारिज कर दिया था। उनकी याचिका सुनकर न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने नोट किया कि जमानत अर्जी को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य रूप से गौतम कुंडू बनाम प्रवर्तन निदेशालय (मनी लांड्रिन्ग रोकथाम अधिनियम ), भारत सरकार के मामले में अपने फैसले पर भरोसा किया था जिसमें जमानत देने के लिए दो शर्तों की पहचान की गई, अर्थात्: "(i) अभियोजन पक्ष को जमानत के लिए आवेदन का विरोध करने का अवसर दिया जाना चाहिए और (ii) न्यायालय को संतुष्ट होना चाहिए कि आरोपी व्यक्ति पर विश्वास करने के लिए उचित आधार हैं कि वो इस तरह के अपराध का दोषी नहीं है और वह जमानत पर कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। "

हालांकि उच्च न्यायालय ने अब निकेश तारचंद शाह बनाम भारतीय संघ और अन्य के मामले में नवंबर, 2017 के फैसले पर ध्यान दिया  जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मनी लांड्रिन्ग अधिनियम की धारा 45 के तहत लगाई गई जुड़वां स्थितियों को भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के असंवैधानिक और उल्लंघनकारी बताते हुए अलग कर दिया था।

टंडन ने आगे तर्क दिया था कि मनी  लांड्रिन्ग  का अपराध अधिनियम की धारा 4 के तहत 7 साल की कारावास की अधिकतम सजा और कम से कम 3 साल की कारावास के साथ दंडनीय है। उन्होंने तब प्रस्तुत किया  कि वह अब 1 साल से 4 महीने से ज्यादा समय तक हिरासत में हैं और इसके बावजूद दिन-प्रतिदिन ट्रायल नहीं हो रहा है। इस तरह के विवादों से सहमत होकर  अदालत ने कहा कि मुकदमे में समय लग सकता है और इसलिए  टंडन को जमानत दी गई और साथ हीराजकुमार गोयल के साथ 5- 5 लाख रुपये का निजी मुचलका भरने को कहा गया।

उन्हें ट्रायल कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना देश छोड़ने से भी रोक दिया गया है।


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