हलफनामे में बलात्कार पीड़िताओं का नाम उजागर करने का मामला : सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों की क्षमा याचना स्वीकार की [आर्डर पढ़े]
उन्हें यह बताया गया है कि उन्होंने बहुत ही गंभीर चूक की है और भविष्य में उनको ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है, पीठ ने कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड की क्षमा याचना स्वीकार कर ली है। इन राज्यों ने कोर्ट के समक्ष दायर हलफनामे में बलात्कार पीड़िताओं के नाम जाहिर कर दिए थे। पीठ ने कहा कि इन राज्यों ने ऐसा करके बहुत गंभीर चूक की है और उन्हें भविष्य में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि मेघालय द्वारा दायर हलफनामे में यौन हिंसा की पीड़ित का नाम जाहिर किया गया था। कोर्ट ने इस राज्य की क्षमा याचना को भी स्वीकार किया।
पीठ ने कहा, “ललित कुमार दास, संयुक्त सचिव, महिला एवं बाल विकास एवं सामाजिक कल्याण विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार और अजय रौतेला, अतिरिक्त सचिव, गृह, उत्तराखंड सरकार, 27 मार्च को जारी नोटिस के सिलसिले में आज कोर्ट में मौजूद हैं। दोनों ने हलफनामा दायर कर यौन हिंसा की शिकार पीड़िताओं का नाम हलफनामे में जाहिर करने पर क्षमा याचना की है। उनको यह बताया गया है कि उन्होंने ऐसा करके एक गंभीर चूक की है और इस मुद्दे पर उन्हें भविष्य में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने जो हलफनामा दायर किया है उसे स्वीकार किया जाता है”।
भारत सरकार को अपने निर्देश में पीठ ने कहा कि वह एक चार्ट प्रस्तुत करे कि किन राज्यों ने कितनी राशि का प्रयोग किया किया है और अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 मई 2018 को होगी।
पृष्ठभूमि
इस बारे में एडवोकेट निपुण सक्सेना ने कोर्ट में याचिका दायर की थी।
पिछली सुनवाई में पीठ ने कोर्ट में दायर हलफनामे में नाबालिग सहित बलात्कार की शिकार लोगों को निर्भया फंड के तहत दिए गए मुआवजे की सूची में उनके नाम जाहिर करने के लिए उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल की आलोचना की थी और इसे “आपराधिक अपराध” बताया था।