सरकारी क्षेत्र की कंपनियों में विधि अधिकारी के लिए अनुभव आवश्यक होना मनमाना नहीं : दिल्ली हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-04-19 09:41 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने गत सप्ताह अपने फैसले में कहा कि सरकारी/अर्ध सरकारी/सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों/राष्ट्रीयकृत बैंकों/बीएसई या एनएसई में अधिसूचित कंपनी में विधि अधिकारी की नौकरी के लिए एक साल के अनुभव की आवश्यक शर्त मनमाना नहीं है और यह अवसरों की समानता के सिद्धांत के खिलाफ नहीं है।

न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने कहा, कहा, “...अनुभव से उपरोक्त कंपनियों और संस्थाओं में विधि अधिकारी के रूप में उसके कार्य को आसान बनाता है। ऐसा नहीं है कि वकील इससे पूरी तरह अलग हैं। विज्ञापन के अनुसार, एक वकील के रूप में कार्य अनुभव या क़ानून के किसी फर्म में कार्य करने का अनुभव वांछनीय है। इसलिए, यह नहीं कहा जा सकता कि अनुभव की जरूरत को आवश्यक बनाने की शर्त भेदभावपूर्ण है...”

कोर्ट ने प्रत्यूष आनंद मिश्रा की याचिका पर सुनवाई के दौरान यह बात कही। आनंद ने इस याचिका में सार्वजनिक क्षेत्र की एक कंपनी ने विधि अधिकारी (E1 श्रेणी) का CLAT, 2018 (स्नातकोत्तर परीक्षा के अंक) के माध्यम से चयन के लिए विज्ञापन दिया था। इस विज्ञापन में कहा गया था कि उम्मीदवार को विधि स्नातक और किसी लॉ फर्म या अन्य कंपनी में काम करने का एक साल का अनुभव होना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे वकील जिनको अन्य अनुभव है, को भी इस पद के लिए योग्य माना जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि इस तरह की अहर्ता को आवश्यक नहीं बनाया जा सकता और अन्य लोगों को इस तरह के पद से वंचित नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने हालांकि कहा कि यह अहर्ता मनमाना नहीं है और किसी पद के लिए किस तरह की योग्यता होनी चाहिए इसकी जांच का कार्य उसका नहीं है। कोर्ट ने कहा, “यह एक निहायत ही नीतिगत मामला है और इसके लिए आवश्यक या अन्य योग्यता क्या होगी इसका निर्धारण रोजगार देने वाला ही कर सकता है”।


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