उड़ान में सुरक्षा संबंधी विनियमनों की अनदेखी करने पर जेट एयरवेज के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका; नोटिस जारी
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को एक पत्रकार की जनहित याचिका पर केंद्र, नागर विमानन निदेशालय (डीजीसीए) और जेट एयरवेज को नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि जेट एयरवेज अनधिकृत लोगों विमान चालक दल के सदस्य के रूप में एक “सामान्य घोषणा” (जीडी) के तहत विमान में जाने की इजाजत देकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ान सुरक्षा नियमों का उल्लंघन कर रहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और सी हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली के इस पत्रकार रजनीश कपूर की याचिका पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।
याचिका में कहा गया है कि अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन और मोंट्रियल कन्वेंशन के प्रावधानों के अनुसार, विमानन कंपनी जीडी जारी करता है जिसमें यात्री, हवाई दल और कार्गो का संचालन करने वालों की पहचान की जाती है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि व्यवहार में, अधिकाँश देश सही पासपोर्ट के साथ जीडी को स्वीकार करते हैं ताकि अंतर्राष्ट्रीय फ्लाइट परिचालन में सुगमता हो।
आरोप लगाया गया है कि इन प्रावधानों का यह एयरलाइन्स उल्लंघन कर रहा है और वह ऐसे लोगों को विमान में भेज रहा है जो न तो योग्य हैं, न जिनके पास न तो उस विमान के लायक लाइसेंस है और न ही उनको कोई काम होता है।
याचिका में राजस्व खुफिया निदेशालय द्वारा जेट एयरवेज के चालक दल की एक महिला को कुछ समय पहले तीन करोड़ रुपए मूल्य की विदेशी मुद्रा के साथ पकड़ा गया था। आरोप लगाया गया है कि जीडी में गड़बड़ी का फ़ायदा मनी लौंडरिंग कार्य के लिए किया जाता है।
इसके अलावा डीजीसीए ने अपनी एक रिपोर्ट में आरोप लगाया था कि जेट एयरवेज ऐसे विमान चालकों की नियुक्ति करता है जिनकी दक्षता जांच में गड़बड़ियाँ होती हैं।
याचिका में मांग की गई है कि एक विशेष जांच दल बनाई जाए जिसे इस तरह की चूक की जांच करने को कहा जाए और इस जांच की रिपोर्ट आने तक जेट एयरवेज को विमान उड़ाने की अनुमति नहीं दी जाए। याचिका में जेट एयरवेज के कतिपय चूकों की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की गई है।