सुप्रीम कोर्ट ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर उस न्यायिक अधिकारी के नियमित रिटायरमेंट की तिथि में परिवर्तन किया जिसकी याचिका पर निर्णय से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-04-03 11:54 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशिष्ट अधिकार का प्रयोग करते हुए उस जिला और सत्र न्यायाधीश के परिवार वालों को राहत दिलाई जिसकी याचिका पर सुनवाई के दौरान उनकी मौत हो गई थी। इस जज ने आवश्यक रिटायरमेंट को चुनौती दी थी।

उत्तराखंड हाई कोर्ट की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने विमल प्रकाश कांडपाल के आवश्यक रिटायरमेंट का आदेश दिया था जो कि अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के पद पर थे। अपनी बहाली की मांग करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में 2016 में एक रिट याचिका दायर की लेकिन सुनवाई के लंबित रहने के दौरान इस वर्ष फरवरी में उनकी मौत हो गई।

उनकी मृत्यु के बारे में बताये जाने पर न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और संजय किशन कौल ने हाई कोर्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील से पूछा कि अगर याचिकाकर्ता के नियमित रिटायरमेंट की तिथि को 3.5.2016 से बदलकर उनकी मृत्यु की तिथि के दिन कर दिया जाए तो इसके क्या परिणाम होंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि उस स्थिति में उनके कानूनी वारिसों को 53 लाख रुपए मिलेंगे।

इसके बाद पीठ ने आदेश दिया : अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार के प्रयोग का यह उपयुक्त अवसर है। इस तिथि को बदल देने से याचिकाकर्ता को लाभ होगा। इस तरह यह माना जाएगा कि याचिकाकर्ता उस दिन नियमित रूप से रिटायर हुआ जिस दिन उसकी मौत हुई और उनको मिलने वाले सारे लाभ उनके कानूनी वारिसों को मिलना चाहिए”।

अदालत ने स्पष्ट किया कि यह आदेश मामले की विचित्रता और इसकी परिस्थिति को देखते हुए लिया गया है और यह कोई नजीर नहीं बनेगा।


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