कुछ बेईमान मुकदमेबाज और अनैतिक वकील पूरी न्यायिक प्रणाली को बदनाम करते हैं : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुकदमेबाज पर लगाया दस लाख का जुर्माना [निर्णय पढ़ें]
यह परेशानी ध्यान देने वाली है कि ऐसे अधिवक्ताओं ने अपने ग्राहकों को अनैतिक दुविधाओं की सुविधा प्रदान की है, जो अक्सर अपने ग्राहकों की बेईमान प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है, जिससे न्यायपालिका को गंभीर तनाव हो जाता है और दुर्भाग्य से पूरी न्यायिक प्रणाली के लिए बदनामी लाता है, अदालत ने कहा।
इस समय न्यायपालिका बहुत ही गंभीर प्रकृति की चुनौतियों में फंसी हुई है, शायद पहले कभी नहीं, ये कहते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि कुछ याचिकाकर्ता और उनके वकील कोर्ट में झूठे और गलत बयानों को दाखिल करने में कोई डर या झिझक नहीं दिखाते।
उनके मामले में कोई मेरिट नहीं होने के साथ और उनके खिलाफ एक प्रतिकूल आदेश पारित होने से बचने के लिए ऐसे बेईमान मुकदमेदार अपने अधिवक्ताओं के साथ अनुचित साधनों का उपयोग कर अनुकूल आदेश सुनिश्चित करने और उनके द्वारा की गई मुकदमेबाजी में सफलता सुनिश्चित करने या उनके द्वारा बचाव करते हैं, न्यायमूर्ति एसजे काथवाला ने कहा।
अदालत व्यावसायिक सूट में एक प्रतिवादी द्वारा दायर की गई अर्जी पर सुनवाई कर रही थी जिसमें यह कहा गया था कि रिकॉर्ड किए गए सभी आदेश शून्य हैं, रिकार्ड पर स्पष्ट त्रुटियों के कारण वो विचलित होते हैं और उन्हें वापस लिया जाना चाहिए। यह आरोप लगाया गया था कि जो कुछ भी दर्ज किया गया है और उसके द्वारा दी गई सहमति बताई गई है इसके लिए प्रतिवादी जिम्मेदार है।
न्यायालय ने उनसे सहमत हो मोशन ऑफ़ नोटिस को रद्द करते हुए प्रतिवादी और उनके एडवोकेट को जोरदार फटकार लगाई और कहा: "मोशन ऑफ नोटिस के समर्थन में वादी द्वारा दायर शपथपत्र और जवाब को पढ़ने के बाद कोई शक नहीं है, क्योंकि वकील मैथ्यू नेदूंपरा अपने मुव्वकिल के अवमाननात्मक आचरण को समझाने में असमर्थ हैं और इस कोर्ट के खिलाफ प्रतिवादी नंबर 1 के द्वारा किए गए आरोपों को सही ठहराते हैं, उन्होंने जो जवाब दिया है, न केवल ग़लत है, बल्कि यह बेहद गैरजिम्मेदार है और इससे पहले राज्य के उच्चतम न्यायालय में किसी भी वकील का ऐसा आचरण नहीं देखा गया और इसलिए जोरदार रूप से बहिष्कृत किया गया है। "
इस तरह के आचरण के संबंध में, अदालत ने कहा: "कुछ वकीलों ने दुर्भाग्यवश रूप से नैतिकता के कोड को भुला दिया है, जो सभी वकीलों को यह कहता है कि वे पहले न्यायालय के अधिकारी हैं और उसके बाद उनके ग्राहकों के अधिवक्ता हैं। यह परेशानी ध्यान देने वाली है कि ऐसे अधिवक्ताओं ने अपने ग्राहकों को अनैतिक दुविधाओं की सुविधा प्रदान की है, जो अक्सर अपने ग्राहकों की बेईमान प्रथाओं को प्रोत्साहित करती है, जिससे न्यायपालिका को गंभीर तनाव हो जाता है और दुर्भाग्य से पूरी न्यायिक प्रणाली के लिए बदनामी लाता है। यह एक शातिर और घृणित चक्र बन गया है जिसमें दुर्भावनापूर्ण अभियुक्तों के साथ बेईमान अधिवक्ताओं ने भारी शुल्क के लिए अनैतिक मुकदमों की तलाश की। इसी तरह के नए और बेईमान ग्राहकों को आकर्षित करने, आसानी से सभी नैतिकताओं और / या आचार संहिता को भुला दिया गया है। इस आधुनिक व्यवसाय पर यह एक गंभीर चोट है जोकि बेईमान किसी भी हालात में चले जाते हैं और उनके ग्राहकों के लिए अनुकूल आदेश सुरक्षित करने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती है। "
अदालत ने अभियुक्त पर 10 लाख रूपए का अभूतपूर्व जुर्माना भी लगाया।