आरुषि- हेमराज हत्याकांड में सीबीआई ने तलवार दंपति को बरी करने के हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
नोएडा के आरुषि- हेमराज हत्याकांड मामले में सीबीआई ने तलवार दंपति को बरी करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। सीबीआई ने कहा है कि हाईकोर्ट का फैसले में गलतियां की गई हैं।
सीबीआई ने कहा है कि जिन परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर निचली अदालत ने फैसला दिया था उन्हें अनदेखा नही किया जा सकता।
सीबीआई ने कहा कि इस तरह के केस में वो अहम सबूत होते है।पिछले साल दिसंबर में तलवार दंपति को बरी करने के फैसले के खिलाफ हेमराज की पत्नी ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
हेमराज की पत्नी खुमकला बेंजाडे ने याचिका में कहा है कि इस बारे में हाईकोर्ट का फैसला गलत है क्योंकि हाईकोर्ट ने इसे हत्या तो माना है लेकिन किसी को दोषी नहीं ठहराया। इसका मतलब ये है कि दोनों को किसी ने नहीं मारा। जबकि ऐसे में ये जांच एजेंसी की ड्यूटी है कि वो हत्यारों का पता लगाए।
इस याचिका में ये भी कहा गया है कि हाईकोर्ट आखिरी बार देखे जाने की थ्योरी पर विचार करने में नाकाम रहा है जबकि इस बात के ठोस सबूत थे कि L-32 जलवायु विहार में नूपुर तलवार और राजेश तलवार मरने वालों के साथ ही मौजूद थे। इसकी पुष्टि के लिए उनके ड्राइवर उमेश शर्मा ने कोर्ट के सामने बयान भी दिए। हाईकोर्ट इस तथ्य पर भी विचार करने में नाकाम रहा कि ऐसा कुछ नहीं है जो ये दिखाता हो कि रात 9.30 के बाद कोई बाहरी घर में भीतर आया हो। इस बात का भी कोई मैटेरियल नहीं है कि कोई संदिग्ध परिस्थितियों में फ्लैट के आसपास दिखाई दिया हो। 15 मई- 16 मई 2008 की रात को ड्यूटी पर तैनात चौकीदार ने भी ये ही बयान दिए थे। याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने ये सही पाया था कि इतने कम वक्त में किसी के घर में घुसने का मौका नहीं था।
12 अक्तूबर 2017 को हत्या केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट से आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार और मां डॉ नुपूर तलवार को बड़ी राहत मिली थी। हाईकोर्ट ने स्पेशल कोर्ट का फैसला पलटते हुए दोनों को बरी कर दिया था।
ये फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मौजूदा सबूतों के आधार पर तलवार दंपत्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। ऐसे सबूत हों तो सुप्रीम कोर्ट भी इतनी कठोर सजा नहीं सुनाता। 7 सितंबर को बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस केस की सुनवाई जनवरी में ही पूरी हो गई थी लेकिन तलवार दंपत्ति की तरफ से दोबारा से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने फिर सुनवाई करते हुए सीबीआई से कई बिंदुओं पर जवाब मांगा था। इन्ही के आधार पर सुनवाई हुई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि विशेष सीबीआई जज एस लाल की कोर्ट ने नवंबर 2013 में डॉ. राजेश तलवार और डॉ. नूपुर तलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में सबूतों को मिटाने के लिए तलवार दंपति को पांच वर्ष की अतिरिक्त सजा व गलत सूचना देने के लिए राजेश तलवार को एक साल की अतिरिक्त सजा सुनाई थी। इसी मामले में सजा के खिलाफ दंपत्ति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की। जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति बीके नारायण तथा न्यायमूर्ति एके मिश्र की बेंच ने की। इस हत्याकांड में 2 साल की जांच के बाद सीबीआई ने गाज़ियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत को बताया था कि इस मामले में सीबीआई के हाथ तलवार दंपत्ति के खिलाफ सीधे सबूत नही है, लेकिन जो परिस्थितिजन्य सबूत है वो सीधे तलवार दंपत्ति की तरफ ही इशारा करते हैं, लिहाजा, सीबीआई ने अदालत में यही दलील देते हुए 29 दिसंबर 2010 क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी। इस क्लोज़र रिपोर्ट को सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपत्ती के खिलाफ आधार बनाते हुए केस में ट्रायल चलाने का आदेश दे दिया और 2013 में दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई।
याद रहे कि 16 मई 2008 की सुबह करीब साढ़े 6 बजे नोएडा सेक्टर 20 थाने में डॉक्टर राजेश तलवार ने फ़ोन कर जानकारी दी कि उनकी 14 साल की बेटी का घर मे कत्ल हो गया है, मामला नोएडा से बेहद पॉश जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल 32 का था,लिहाजा पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। आरुषि का शव उसके कमरे में बेड पर चादर में लिपटा पड़ा था।
आरुषि के सिर और गले पर चोट थी। आरुषि के सिर पर किसी भारी चीज से तेज वार किया गया था, साथ ही उसका गला भी रेता गया था। तलवार दंपत्ति ने डीपीएस स्कूल में पढ़ने वाली अपनी 14 साल की मासूम बेटी की हत्या का शक वारदात के बाद से फरार नौकर हेमराज पर जाहिर किया और पुलिस को उसे ढूंढ़ने के लिये कहा। उधर आरुषि का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया, पोस्टमार्टम नोएडा जिला हॉस्पिटल के डॉक्टर सुनील धोरे ने किया। जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया दिया और अस्थियां विसर्जन के लिए तलवार दंपत्ति 17 मई को हरिद्धार निकल गए।
17 मई की सुबह तलवार दंपत्ति के जानकार पूर्व पुलिस अधिकारी केके गौतम ने करीब 10 बजे नोएडा पुलिस को जानकारी दी कि तलवार दंपत्ति के घर की छत पर खून से लथपथ शव पड़ा है। पुलिस तुरंत मौके पर पहुँची, मौके पर मौजूद राजेश तलवार के भाई दिनेश तलवार से शव की शिनाख्त करने के लिए कहा गया लेकिन, उन्होंने पहचानने से इनकार कर दिया। शाम की जब बुलाने पर राजेश तलवार हरिद्वार से नोएडा पहुँचे तो उन्होंने लाश की पहचान अपने नौकर हेमराज के रूप में की। इस मामले में शुरूआत से पुलिस का शक राजेश तलवार पर था, जिसके चलते पुलिस ने 23 मई 2008 को डॉक्टर राजेश तलवार को उन्ही की इकलौती बेटी आरुषि कत्ल के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, इसके बाद नोएडा पुलिस की काफी किरकिरी भी हुई और नूपुर तलवार की अर्जी पर जांच सीबीआई को सौंप दी गयी।
सीबीआई का शक सबसे पहले डा. राजेश तलवार के कंपाउंडर कृष्णा पर गया। 13 जून 2008 को सीबीआई ने कृष्णा को हिरासत में ले लिया और उसका नारको टेस्ट करवाया। फिर शक के घेरे में आया तलवार परिवार के करीबी दुर्रानी परिवार का नौकर राजकुमार जो कि कृष्णा का दोस्त था और फिर तलवार के पड़ोसी का नौकर विजय मंडल। सीबीआई ने तीनों को गिरफ्तार किया और इन तीनो का नारको टेस्ट भी करवाया। लेकिन सीबीआई किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई और सारे आरोपियों की जमानत हो गई मजबूरी में सीबीआई ने इस मामले की जांच अपने ही एक दूसरी टीम के हाथ में सौंपी।अब सीबीआई की दूसरी टीम ने जांच शुरू की। सीबीआई की दूसरी टीम ने जांच को आगे बढ़ाया। तफ्तीश में भी डॉ राजेश तलवार और उनकी पत्नी नुपूर तलवार ही शक के घेरे में खड़े रहे।