“ उनका बेटा सेना का अफसर है, आम अपराधी नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने पिता की अर्जी पर मेजर आदित्य के खिलाफ जांच पर रोक लगाई
शोपियां फायरिंग केस में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बडा कदम उठाते हुए सेना पर दर्ज FIR पर आगे जांच करने पर रोक लगा दी है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि 24 अप्रैल को इस मुद्दे पर अंतिम सुनवाई होगी और कब तक इस मामले की कोई जांच नहीं होगी।
वहीं सुनवाई के दौरान AG के के वेणुगोपाल ने सेना का समर्थन करते हुए कहा कि AFSPA लगी होने की वजह से राज्य सरकार सेना के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर सकती। साथ ही आर्मी एक्ट के मुताबिक इसके लिए केंद्र से पहले मंजूरी लेनी जरूरी है।
वहीं जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शेखर नाफडे ने कहा कि FIR में मेजर आदित्य को आरोपी नहीं बनाया गया है। सिर्फ ये लिखा गया है कि वो बटालियन की अगवाई कर रहे थे।
चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या वो नामजद हो सकते हैं ? इस पर नाफडे ने कहा कि ये जांच होने पर ही पता चलेगा। उन्होंने मांग की कि इस राज्य सरकार को मामले की जांच आगे बढाने की इजाजत मिलनी चाहिए। साथ ही उनकी दलील थी कि राज्य सरकार बिना केंद्र की इजाजत FIR दर्ज कर सकती है।
लेकिन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ये मामला सेना के अफसरों से जुडा है किसी आम अपराधी से नहीं। इसलिए फिलहाल जांच नहीं होगी।
गौरतलब है कि 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार और केंद्र सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी कर जवाब मांगा था जिसमें शोपियां में दो नागरिकों की हत्या के संबंध में मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की मांग की गई थी।
दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश देते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने निर्देश दिया था कि तब तक मेजर कुमार के खिलाफ "कोई दंडनीय कार्रवाई नहीं की जाएगी।” मेजर के खिलाफ सभी कार्रवाई की रोक दी गई थीं।
सेना के कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर सैनिकों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए दो याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों और जांच की मांग पर बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की सहायता मांगी थी।
गौरतलब है कि शोपियां के गांवपोरा गाँव में पत्थरबाजी कर रही भीड़ पर सेना कर्मियों ने गोलीबारी कर दो नागरिकों की कथित हत्या कर दी थी, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने घटना की जांच का आदेश दिया। सेना की 10 गढ़वाल इकाई के मेजर कुमार सहित अन्य कर्मियों के खिलाफ रणबीर दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या की कोशिश) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
आदित्य कुमार के पिता लेफ्टिनेंट कर्नल करमवीर सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वकील ऐश्वर्या भाटी ने सैनिकों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके लिए पर्याप्त मुआवजे का भुगतान करने के लिए दिशा-निर्देश और प्राथमिकी रद्द करने की मांग की ताकि सेना के कर्मियों को अपने कर्तव्यों का प्रयोग करने के दौरान आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से परेशान ना किया जा सके।
"यह एक बहुत गंभीर मुद्दा है। सेना ने कभी ऐसी खतरनाक स्थिति का सामना नहीं किया", रोहतगी ने पीठ को बताया था।