किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला दायर भर होना उसको अनिवार्यतः रिटायर करने का आधार नहीं हो सकता : जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट [आर्डर पढ़े]

Update: 2018-03-03 12:12 GMT

जम्मू और कश्मीर हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपने एक फैसले में कहा कि सिर्फ किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला दायर भर होना उसको अनिवार्य रूप से रिटायर करा देने का आधार नहीं हो सकता।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नौकरी पर फिर बहाल करने का निर्देश दिया। वह राज्य के पीडब्ल्यूडी में सहायक प्रबंधक के पद पर कार्य कर रहा था और कश्मीर की निगरानी विभाग ने उसके खिलाफ रणबीर दंड संहिता  की धारा 420, 467 और 468 के तहत एक एफआईआर दर्ज किया था। उसके पास ज्ञात आय के स्रोत से अधिक की संपत्ति रखने का मामला भी दर्ज किया गया है।

याचिकाकर्ता की इस दलील पर कि उसके खिलाफ आधारहीन आरोपों की जांच अभी पूरी नहीं हुई है, कोर्ट ने उसको अनिवार्य रूप से रिटायर कराए जाने संबंधी आदेश को निरस्त कर दिया।

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की वार्षिक क्षमता रिपोर्ट (एपीआर) पर जोर डाला जिसमें उसके वरिष्ठों ने समय-समय पर उसकी उपलब्धियों को उत्कृष्ट/अच्छा/संतोषप्रद कहकर सराहा है। कोर्ट ने एक अधिकारी के सम्पूर्ण कार्यकाल की महत्ता को ध्यान में रखने पर जोर डाला जिसमें उसका सर्विस बुक, पर्सनल फाइल और ईमानदारी के प्रमाणपत्र भी शामिल है।

कोर्ट ने कहा, “आम हित में लिया जाने वाला आवश्यक रूप से रिटायर कराने के आदेश को सजा के रूप में प्रयोग नहीं किया जा सकता और संविधान के अनुच्छेद 311(2) का इसके लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता...”।


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