2जी घोटाले मामले में SPP की भूमिका से मुक्त किया जाए :वरिष्ठ वकील आनंद ग्रोवर ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी इजाजत

Update: 2018-02-23 06:57 GMT

वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर, जिन्हें 2014 में 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामलों के लिए विशेष सरकारी अभियोजक (एसपीपी) के रूप में नियुक्त किया गया था, ने सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए।

गौरतलब है कि  केन्द्र ने 8 फरवरी, 2018 की अधिसूचना के जरिए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 2 जी स्पेक्ट्रम से संबंधित मामलों से उत्पन्न होने वाले अभियोजन, अपील / संशोधन या अन्य कार्यवाही करने के लिए एसपीपी के रूप में नियुक्त किया है।

 उसके बाद, 16 फरवरी, 2018 को दो और नोटिफिकेशन जारी किए गए, जो कि मेहता की भूमिका को स्पष्ट करने के लिए जारी किए गए।

पहली अधिसूचना में कहा गया है कि मेहता को उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के सामने अपील, संशोधन या  2जी स्पेक्ट्रम से संबंधित मामलों में सभी या किसी भी फैसले से उत्पन्न होने वाली अन्य कार्यवाही के लिए  एसपीपी के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है ।

दूसरी अधिसूचना में पिछली बार 2014 में ग्रोवर की प्रारंभिक नियुक्ति में सुधार किया गया जिसमें उनको भूमिका निभाने के लिए "अपील / संशोधन" को छोड़कर शामिल किया गया था।

अपने आवेदन में ग्रोवर अब आरोप लगा रहे हैं  कि उन्हें केंद्र की सूचनाओं के बारे में सूचित नहीं किया गया। उन्होंने आगे बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा उन्हें लिखे गए एक पत्र को जिसमें उन्होंने अंतिम मसौदा अपील और अंतिम विचारों की मांग की थी, जानबूझकर मीडिया को "प्रेरित उद्देश्यों के लिए" लीक कर दिया गया।

वे बताते हैं कि जिस तरीके से अपील तैयार की जा रही थी, वो पहले से ही सीबीआई के साथ सहमत थे और ये  सीबीआई था जिसने अपील के ड्राफ्ट के कुछ हिस्सों पर जानकारी देने से लिए अधिकारियों को नियुक्त नहीं किया।

ग्रोवर ने फिर से प्रस्तुत किया, "आवेदक का मानना ​​है कि उन्होंने माननीय अदालत के आदेश पर अपनी क्षमता के तहत कर्तव्य निभाने की कोशिश की है।  सर्वोच्च न्यायालय ने 11.04.2011 और 02.09.2014 को 2जी घोटाले से संबंधित मामले में उनको विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया था।

आवेदक का ये कर्तव्य है कि 2 जी मामलों में विशेष लोक अभियोजक के कर्तव्यों से मुक्त करने के लिए इस माननीय न्यायालय से मंजूरी ली जाए। “

हालांकि ग्रोवर ने अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए न्यायालय की अनुमति मांगी है, एक जनहित  याचिका में केंद्र सरकार द्वारा एसपीपी के रूप में तुषार मेहता की नियुक्ति के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में  एक अवमानना ​​याचिका दायर की गई है।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि अपॉइंटमेंट के लिए एसपीपी के रूप में ग्रोवर को नियुक्त करने के  सुप्रीम कोर्ट के विशेष निर्देशों का जानबूझकर उल्लंघन किया गया है।

याचिका में कहा गया है,”उत्तरदाता को इस माननीय न्यायालय के फैसले को खत्म करने का कोई अधिकार नहीं है और यह कदम इस माननीय न्यायालय द्वारा पारित किए गए आदेशों की घोर अवमानना के अलावा कुछ और नहीं है।  यह विशिष्ट कार्य स्पष्ट रूप से उत्तरदायी के दुर्भावनापूर्ण  इरादों को दर्शाता है। "


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