बंगले का मामला : अमिकस क्यूरी का विरोध करते हुए यूपी ने कहा पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास के हकदार [लिखित सबमिशन पढ़ें]

Update: 2018-01-27 08:17 GMT

उत्तर प्रदेश ने अमिकस क्यूरी और वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम की दलील का विरोध करते हुए कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी बंगला  के हकदार हैं।

न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को उत्तर प्रदेश के वकील ने अपने लिखित जवाब में कहा, “संशोधित नियम के तहत पूर्व मुख्यमंत्री को इस तरह का लाभ देना उचित है क्योंकि उनका एक ख़ास वर्ग है। पूर्व मुख्यमंत्री हमेशा ही के विशिष्ट व्यक्ति होता है और इसलिए उसे विशेष लाभ पाने का अधिकार है।”

अखिलेश सरकार द्वारा किए गए संशोधन से योगी सरकारे ने सहमति जताई है। वे इस बात का समर्थन करते हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री को सरकारी आवास की सुविधा मिलनी चाहिए। यह संशोधन सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए किया गया जिसमें कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी भवनों में रहने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट लोक प्रहरी नामक एनजीओ की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किए गए संशोधनों को चुनौती दी गई है।

इससे पूर्व कोर्ट द्वारा उसकी मदद के लिए नियुक्त अमिकस क्यूरी वरिष्ठ एडवोकेट गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था, “...एक बार जब सरकारी पद पर नियुक्त कोई व्यक्ति (राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि) अपना पद छोड़ देता है तो वह इस पद से जुड़े हर तरह के अलंकरणों से अलग हो जाता है। ऐसा व्यक्ति वापस फिर एक आम आदमी हो जाता है और उसे रिटायर होने के बाद मिलने वाले पेंशन आदि के अलावा और किसी भी तरह का विशेषाधिकार नहीं मिलना चाहिए।”

सुब्रमण्यम ने कहा, “सार्वजनिक संपत्ति को निजी नागरिक पर नहीं लुटाया जाना चाहिए भले ही वह कितने ही बड़े पद पर क्यों न रह चुका हो। क़ानून का कोई भी प्रावधान जो कि पूर्व में सरकारी पद पर रहे व्यक्ति को सरकारी आवास मुहैया कराता है, संविधान का उल्लंघन है क्योंकि यह अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है।

इस मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च 2018 को होनी है।


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