हादिया केस : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, एक "व्यस्क" महिला की शादी की पसंद पर सवाल नहीं उठा सकते
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने मंगलवार को 'शफीन जहां बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ केस की सुनवाई के दौरान साफ कहा कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की जांच से हादिया की वैवाहिक स्थिति पर कोई असर नहीं होगा।
"वह एक 24 साल की लड़की है यदि कोई वयस्क कहता है कि वह अपनी स्वतंत्र सहमति से शादी कर रही है, तो शादी को कैसे चुनौती दी जा सकती है? "
वहीं प्रतिवादी की ओर से पेश माधवी दीवान ने कहा, " बेंच शादी को अलग से देख रही है। कृपया ध्यान दें कि जब केरल हाईकोर्ट के सामने याचिका दायर की गई थी, उस वक्त उनकी शादी नहीं हुई थी। उस समय प्रार्थना थी कि लड़की अपने माता-पिता के पास वापस जाने के लिए तैयार नहीं थी। शादी का मकसद केवल उसे अवैध रूप से हिरासत से वैध बनाना है। "
इस बिंदु पर जस्टिस चंद्रचूड ने टिप्पणी की, "आप सही हो सकते हैं कि शादी पूरी तरह से एक योजना है। लेकिन एक बार जब हादिया कहती हैं कि वह शादी कर रही है, तो हम उसकी पसंद की वैधता पर सवाल नहीं कर सकते। एक वयस्क लड़की के संबंध में हैबियस कॉरपस की रिट कैसे जारी की जा सकती है? "
वकील ने जवाब देना शुरू किया- "दो श्रेणियां हैं- एक, जहां दो लोग मिलते हैं और शादी करने के लिए सहमत होते हैं। हम उस पर नहीं हैं ..."
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने दलीलों को बीच में काटते हुए कहा, "विवाह किसी भी आपराधिक साजिश, आपराधिक न्याय या आपराधिक कार्रवाई से मुक्त होना चाहिए। अन्यथा यह कानून में एक बुरा उदाहरण होगा।
'एक्स ‘ ने 'वाई' से शादी की - ये वह है। हम किसी की व्यक्तिगत स्वतंत्र पसंद में शामिल नहीं हो सकते।”
वकील ने तर्क दिया, "मेरी प्रार्थना शादी के संबंध में नहीं है। हम केवल कल्याण के बारे में चिंतित नहीं हैं जब लड़की एक वयस्क है, तब हाईकोर्ट का हैबियस कॉरपस की रिट जारी करने का क्या अधिकार है, अगर वह लड़की मानसिक या बौद्धिक रूप से अपर्याप्त मानी जाती है? "
चीफ जस्टिस ने कहा ,"लड़की हमारे सामने और साथ ही हाईकोर्ट के सामने आई है। वह अवैध रूप से हिरासत में नहीं है।”
सुनवाई के अंत तक भी वकील ने कोर्ट से आग्रह किया कि शादी के लिए होने वाली घटनाओं का अनुक्रम देखें।लेकिन बेंच ने कहा, "हम नहीं देख सकते कि उसे कैसे ब्रेनवॉश किया गया है, हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते।”
वर्तमान याचिकाकर्ता की तरफ से उपस्थित वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने एनआईए द्वारा की गई जांच के संबंध में चिंता जताई - “ 16 अगस्त, 2017 को इस अदालत ने निर्देश दिया था कि अदालत की देखरेख में जांच की जाए। जांच को अब अदालत के छतरी के बाहर आगे बढ़ने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? " अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) मनिंदर सिंह ने कहा, “ कोर्ट को दबाव नहीं देना चाहिए ... NIA जबरन कुछ भी नहीं कर रहा है।”
वहीं 16 अगस्त 2017 के आदेश का जिक्र करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने टिप्पणी की, "यह अंतरिम आदेश था। इस मामले का मतलब यह है कि शादी को निरस्त नहीं किया जा सकता इसलिए वैवाहिक स्थिति में कोई जांच नहीं की जा सकती।”
सिब्बल ने कहा, "जांच को वैधता के दायरे से परे नहीं जाना चाहिए और जिसकी कोर्ट ने अनुमति दी है।” इसके अलावा हस्तक्षेप के लिए अन्य उत्तरदाताओं द्वारा अर्जी दी गई और हदिया की मां के वकील ने कहा, "मेरी बेटी की जिंदगी दांव पर है, अर्जी में मुद्दा अलग हो सकता है, कृपया मामले को अलग से सुनें।”
जबकि एक अन्य वकील ने कहा, “ शिकार आत्मघाती हमलावर बनने से बच गया है।”
बेंच ने टिप्पणी की, "यह मामला एनआईए की जांच के लिए है।”। कोर्ट ने मामले को 22 फरवरी को सुनवाई के लिए निर्धारित किया है।