कंपनियों के निदेशकों के लिए विलंब योजना की सहूलियत: दिल्ली HC ने व्यापक प्रचार के आदेश दिए [आर्डर पढ़े]

Update: 2017-12-31 08:10 GMT

कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (MCA ) ने आखिरकार अपनी देनदारी योजना '2018' जारी कर दी है। दरअसल कंपनी के बड़ी संख्या में निदेशक मंडल द्वारा लगातार तीन साल की अवधि के लिए वार्षिक रिटर्न या वित्तीय वक्तव्य दाखिल करने में चूक करने पर अयोग्य ठहराए जाने से राहत मांगने के लिए विभिन्न हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की गई थी।

 देरी का सहारा (COD ) योजना से कंपनियों के साथ जुड़े 3,0 9, 614 निदेशकों को लाभ होगा, जो वित्तीय वक्तव्यों या MCA 21 ऑनलाइन रजिस्ट्री में 2013-14 से 2015-16 के तीन वित्तीय वर्षों की निरंतर अवधि के लिए कंपनी अधिनियम की धारा 164 (2) के तहत वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विफल रहे हैं।

  यह योजना 1 जनवरी, 2018 से लागू होगी और यह 31 मार्च 2018 तक लागू होगी। COD -2018 उन कंपनियों पर लागू नहीं है, जिन्हें कंपनियों के रजिस्टर से अधिनियम की धारा 248 (5) के तहत बंद कर दिया गया है (कंपनियां जो कारोबार से बाहर हैं)।

 इस योजना की वैधता के दौरान अयोग्य निदेशकों के DIN अस्थायी रूप से सक्रिय हो जाएंगे ताकि वे अतिदेय दस्तावेज जमा कर सकें। एक डिफाल्टर कंपनी ई-फॉर्म भर सकती है और COD योजना का लाभ उठाने के लिए 30,000 रुपये का भुगतान करेगी।

विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के ज्ञापन और हाईकोर्ट में याचिकाओं के बाद COD योजना शुरु की गई है। ऐसे ही मामले में शिखा पाहूजा बनाम कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय और अन्य में दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस  विभु बाखरू ने आदेश दिया कि COD योजना का व्यापक प्रचार दिया जाना चाहिए।दरअसल एक कंपनी के निदेशक ने अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि MCA द्वारा जारी अयोग्य निदेशकों की सूची में उनके नाम का उल्लेख किया गया और अयोग्य ठहराए जाने से पहले उन्हें कोई कारण बताओ नोटिस जारी नहीं किया गया था। लेकिन बाद में  जब कोर्ट  को CODयोजना के बारे में बताया गया तो उसने अपनी याचिका वापस ले ली कि वह उसी का लाभ लेना चाहती है। जस्टिस बाखरू  ने आदेश दिया,  "यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त होगा कि विलंब योजना- 2018 को व्यापक प्रचार दिया जाए। दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (कंप्यूटर),  को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर तुरंत इस योजना की जानकारी देने का निर्देश दिया जाता है। "

गौरतलब है कि कंपनी अधिनियम के तहत सभी कंपनियों को कंपनियों के रजिस्ट्रार के पास अपने वार्षिक वित्तीय विवरण दर्ज करने की आवश्यकता होती है। धारा 164 (2) कंपनी के निदेशक की डिफ़ॉल्ट रूप से अयोग्यता प्रदान करती है।MCA  ने पहले भी 'कंपनी लॉ सेटलमेंट स्कीम 2014' लॉन्च की थी ताकि डिफाल्टर कंपनियों को अवसर प्रदान किया जा सके।

 सितंबर 2017 में MCA  ने 2013-14 से 2015-16 तक MCA 21 ऑनलाइन रजिस्ट्री में वित्तीय विवरणों या वार्षिक रिटर्न दाखिल करने में विफल रही कंपनियों के साथ जुड़े 3,0 9, 614 निदेशकों की पहचान की और ऑनलाइन रजिस्ट्री से उन्हें रोक दिया। ऐसे निदेशकों की एक सूची MCA की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई थी। इसके बाद MCA ने कई अभ्यावेदनों को प्राप्त किया जबकि कई प्रभावित पक्षों ने विभिन्न हाईकोर्ट की शरण ली जिसके तहत COD  योजना शुरू की गई।

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