सांसदों, विधायकों को कानूनी प्रैक्टिस की अनुमति नहीं देने की मांग पर विचार के लिए बीसीआई ने गठित की तीन-सदस्यीय समिति
बार काउंसिल ऑफ़ इंडिया (बीसीआई) ने एक तीन-सदस्यीय समिति गठित की है जो कि भाजपा नेता और एडवोकेट उपाध्याय की इस मांग पर गौर करेगा कि सांसदों और विधायकों पर एडवोकेट के रूप में कानूनी प्रैक्टिस करने पर प्रतिबन्ध लगाया जाए।
बीसीआई के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने लाइव लॉ को बताया कि बीसीआई की बैठक हुई जिसमें एक समिति के गठन का फैसला हुआ जो तीन दिन में इस बारे में अपनी रिपोर्ट देगा। इस समिति में आरजी वाह, बीसी ठाकुर और डीपी ढल शामिल हैं। उपाध्याय ने हाल ही में इस बारे में बीसीआई को एक पत्र लिखा था।
शनिवार को उपाध्याय ने बीसीआई के समक्ष यह लिखित मांग पेश की जिसमें उन्होंने इस बात का विस्तार से जिक्र किया है कि यह प्रतिबन्ध बहुप्रतीक्षित है।
उन्होंने कहा, “विधायकों और सांसदों को भारत सरकार के समेकित निधि से वेतन मिलता है और वे केंद्र और राज्य के कर्मचारी हैं। बीसीआई का नियम 49 वेतन पाने वाले किसी भी व्यक्ति को एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस करने से रोकता है”।
उपाध्याय ने अपने प्रतिवेदन में कहा है, “आईपीसी की धारा 21 और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 2(c) के तहत सांसद और विधायक लोक सेवक होते हैं। इसलिए उन्हें एडवोकेट के रूप में प्रैक्टिस करने देना संविधान के अनुच्छेद 14-15 का उल्लंघन है”।