प्रोमोशन में दिव्यांग कोटा : सुप्रीम कोर्ट ने एमपी हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड के खिलाफ अवमानना का आरोप हटाया [आर्डर पढ़े]
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एमपी हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड के खिलाफ अवमानना के आरोपों को हटा दिया। उसके खिलाफ यह आरोप लगाया गया था कि वह दिव्यांगों को प्रोमोशन में आरक्षण नहीं दे रहा है।
न्यायमूर्ति राजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर बनुमथी इस मामले की सुनवाई कर रहे थे जिसके बारे में याचिका अचिंत्य देब दासगुप्ता ने दायर की थी। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ याचिका में राज्य के आवासीय और पर्यावरण विभाग, आम प्रशासन विभाग, उद्योग एवं रोजगार मंत्रालय, एमपी हाउसिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड और राज्य के वाणिज्य, उद्योग और रोजगार विभाग के खिलाफ आरोप लगाए थे।
इस याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार के विभाग जानबूझकर भारत सरकार और अन्य बनाम नेशनल फेडरेशन ऑफ़ ब्लाइंड एंड अदर्स मामले में कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। अपने इस फैसले में कोर्ट ने कहा था कि दिव्यांगों के लिए आरक्षण को सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों को मानना है। कोर्ट ने आदेश दिया था, “अपीलकर्ता सभी विभागों/सरकारी क्षेत्र की कंपनियों/सरकारी कंपनियों को यह घोषणा करते हुए निर्देश जारी करेगा कि दिव्यांगों के लिए आरक्षण योजना को लागू नहीं करने का अर्थ होगा इसका उल्लंघन। कोर्ट ने कहा था कि विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र की कम्पनियां/सरकारी कम्पनियों में नोडल ऑफिसर इसको लागू करने के लिए जिम्मेदार होगा और ऐसा नहीं कर पाने पर उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी।”
कोर्ट के समक्ष यह प्रश्न उठाया गया कि क्या विकलांगता (समान अवसर, अधिकारों की रक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1955 के प्रावधान दिव्यांगों को प्रोमोशन के लिए भी उपलब्ध होंगे।
महाधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि फैसला विशेष रूप से दिव्यांगों के लिए प्रोमोशन में आरक्षण की बात नहीं सोचता।
कोर्ट ने कहा कि राजीव कुमार गुप्ता एवं अन्य बनाम भारत सरकार एवं अन्य मामले में कोर्ट ने कहा था कि अधिनियम के तहत कोटा दिया जाना है फिर चाहे वह पद सीधी भर्ती से भरा जा रहा है या फिर प्रोमोशन से। पर हालांकि यह पाया गया कि इस निर्णय को एक बड़ी बेंच को सुनवाई के लिए सौंपा गया है ताकि यह निर्णय किया जा सके कि संविधान के अनुच्छेद 16 के अपवाद के रूप में आरक्षण एससी और एसटी उम्मीदवारों के अलावा दिव्यांग व्यक्तियों को दिया जा सकता है या नहीं जिनके लिए संविधान में विशेष प्रावधान किए गए हैं।
इस सूचना को देखते हुए, कोर्ट ने अवमानना के मुद्दे को अभी परे रखा और एमपीएचडीबी के खिलाफ आरोपों को उसके बयान के बाद हटा दिया।
कोर्ट ने हालांकि, अन्य प्रतिवादियों की राय जाननी चाही और उन्हें राजीव कुमार गुप्ता के मामले के बाद अपने वादों के बारे में विस्तार से बताने को कहा है।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 31 जनवरी 2018 को होगी।