सुप्रीम कोर्ट तय करेगा क्या राष्ट्रपति के दया याचिका ठुकराने पर हाईकोर्ट कर सकता है सुनवाई ? दिल्ली HC के सोनू सरकार की मौत की सजा उम्रकैद करने पर नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के सोनू सरदार की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने के फैसले को चुनौती दी गई है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रपति के दया याचिका खारिज करने के फैसले को रद्द करते हुए सोनू सरदार की सजा को फांसी से उम्रकैद कर दिया था।
दरअसल सोनू सरदार को छत्तीसगढ में एक कबाडी के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को बरकरार रखा। राष्ट्रपति ने भी 2013 और 2014 में उसकी दया याचिका को खारिज कर दिया।केस के बारे में यहां पढें
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और राष्ट्रपति के फैसले पर न्यायिक विचार पर हाईकोर्ट के अधिकारक्षेत्र को लेकर सवाल उठाया।
लाइव लॉ के पास मौजूद याचिका में कहा गया है कि क्या हाईकोर्ट अनुच्छेद 226 के तहत दाखिल याचिका पर सुनवाई कर सकता है और अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के फैसले पर न्यायिक विचार कर सकता है जबकि मौत की सजा पर सुप्रीम कोर्ट भी फैसला सुना चुका हो।
केंद्र सरकार ने ये भी दलील दी है कि राष्ट्रपति के फैसले के खिलाफ सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही सुनवाई कर सकता है और सुप्रीम कोर्ट इस मामले में मौत की सजा सुना चुका है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट को अब हाईकोर्ट का अधिकारक्षेत्र तय करना चाहिए कि जब सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति ये फैसला दे चुके हों कि दोषी को मौत की सजा ही देनी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल/ राष्ट्रपति के फैसलों पर अगर हाईकोर्ट न्यायिक विचार करने लगा तो ये कानूनी प्रक्रिया में एक और स्टेज जुड जाएगा। इसके कारण आरोपी/ व्यक्ति/ दोषी पर अनिश्चितता की तलवार लटकी रहेगी। ऐसे में न्याय के हित में ये जरूरी है कि हाईकोर्ट के न्यायिक विचार के इस अतिरिक्त स्टेज से बचा जाए ताकि लंबी कानूनी और संवैधानिक प्रक्रिया को छोटा किया जा सके।