दिल्ली सरकार Vs LG : उपराज्यपाल और चुनी हुई सरकार के बीच मधुर संबंध होने चाहिएं : सुप्रीम कोर्ट

Update: 2017-11-29 04:37 GMT

दिल्ली सरकार  और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लडाई का मामला अहम मोड पर पहुंच चुका है। पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर कई सवाल उठाए। साथ ही सलाह भी दी।

CJI दीपक मिश्रा ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उपराज्यपाल और सरकार के मुख्यमंत्री के बीच प्रशासन को लेकर सौहार्द होना चाहिए। इस मुद्दे पर आत्मीयता का रवैया होना चाहिए। राय में मतभेद मामूली बातों पर नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि कोर्ट मतभेद का क्षेत्र तय नहीं कर सकता

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए ये भी कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली की चुनी हुई सरकार के बीच मधुर संबंध  होने चाहिए। अगर राय में मतभेद है भी तो उपराज्यपाल को स्टेटसमैनशिप दिखानी चाहिए खासतौर पर जब केंद्र और दिल्ली सरकार में अलग अलग पार्टी की सरकार हो।

वहीं केंद्र की ओर से पेश ASG मनिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली में सारे प्रशासनिक अधिकार LG को हैं। दिल्ली सरकार के पास अलग से कोई अधिकार नहीं है। अगर दिल्ली सरकार को ये अधिकार दिए गए तो अराजकता फैल जाएगी।

इस पर पीठ में शामिल जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि अगर केंद्र जो कह रहा है वो सही है तो फिर संविधान निर्माताओं ने दिल्ली के UT स्टेटस को संवैधानिक स्टेटस क्यों दिया ? ये सुनवाई बुधवार को भी जारी रहेगी।

पांच जजों की संविधान पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम  खानविलकर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।

पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और ये पूरे देश के लोगों की है। और केंद्र में देश की सरकार है इस लिए दिल्ली पर केंद्र का संपूर्ण अधिकार है। दिल्ली में जितनी भी सेवाएं है वो केंद्र के अधीन है, केंद्र के पास उसके ट्रांसफर, पोस्टिंग का अधिकार है और ये पूरी तरह से केंद्र के अधीन है।साथ ही उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सलाह को मनाने के लिए बाध्य नही है।  चुनी हुई सरकार सभी मुद्दों को उपराज्यपाल पर सलाह मशवरा करेगी।

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