सात साल की लड़की से बलात्कार और हत्या के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपराधी की मौत की सजा बरकरार रखी [निर्णय पढ़ें]

Update: 2017-11-01 15:19 GMT

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सात साल की एक लडकी से बलात्कार और फिर उसकी हत्या कर देने वाले अपराधी की मौत की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा कि यह सजा इसलिए जरूरी है ताकि न केवल लोग इस तरह के अपराध करने से डरें बल्कि यह स्पष्ट संदेश भी जाए कि समाज इस तरह के अपराधों को नापसंद करता है। न्यायमूर्ति शशि कान्त गुप्ता और न्यायमूर्ति प्रभात चन्द्र त्रिपाठी की खंड पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

पप्पू नामक एक व्यक्ति ने सात साल की एक लड़की को अगवा कर लिया, उसके साथ बलात्कार किया और फिर उसकी हत्या कर दी। हत्यारे ने उसकी लाश को नदी के किनारे एक झाड़ी में छिपा दिया। सत्र न्यायालय ने इस व्यक्ति को दोषी करार देते हुए उसे फांसी की सजा सुनाई।

कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “कामांध लोग जंगली भेड़िए की तरह समाज में घूम रहे हैं और लोगों को अपना शिकार बनाने के लिए वह कुछ भी करते हैं। अपनी इस भूख को मिटाने के लिए वे शिशुओं और बच्चों तक को नहीं छोड़ते।” कोर्ट ने कहा कि इस तरह के अपराध समाज के आत्मविश्वास को झकझोड़ देता है और उसके तानेबाने को नष्ट कर देता है।

दोषी की मौत सजा को कम करने के बारे में ऐसी किसी परिस्थिति के उपलब्ध होने के बारे में पीठ ने कहा, “यह व्यर्थ था, हमने इस तरह की परिस्थितियों को खोजने की कोशिश की पर हमें उसको ज्यादा से ज्यादा दंड देने की परिस्थितियाँ ही अधिक दिखी।” कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे के साथ बलात्कार जैसे मामले की सुनवाई के दौरान संवेदनशील होना पड़ता है क्योंकि बच्चे के दिलोदिमाग पर इस तरह के अपराध का असर ताउम्र रहता है।

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