पश्चिम बंगाल सरकार के आधार को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल, कहा ममता खुद नागरिक के तौर पर कानून को दें चुनौती

Update: 2017-10-30 08:20 GMT

पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता के ख़िलाफ़ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कडी नाराजगी जाहिर की है।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ए के सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने  ने ममता सरकार की याचिका पर सवाल उठाए हैं।

बेंच ने कहा कि राज्य सरकार ने एक्ट की वैधता को कैसे चुनौती दी ? किसी संघीय ढांचे में ये कैसे मंजूर किया जा सकता है। अगर चुनौती देनी है को ममता बनर्जी एक नागरिक की तरह चुनौती दें लेकिन चीफ सेकेट्री की ओर से कैसे संसद के कानून को चुनौती दी जा सकती है ? - कोर्ट ने कहा कल को केंद्र राज्य सरकार के कानून को चुनौती देने लगेगा ऐसे में राज्य सरकार संसद के कानून को कैसे चुनौती दे सकती है ? हालांकि कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है इन मामलों पर विचार करना जरूरी है। राज्य सरकार राहत को लेकर याचिका दाखिल कर सकती है।

इस दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा सरकार इसे चुनौती दे सकती है क्योंकि इससे कल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।खासतौर पर बच्चों व मजदूरों को दी जाने वाली सब्सिडी में दिक्कतें आ रही हैं। हालांकि  कोर्ट के रुख के बाद उन्होंने  कहा कि वो याचिका में संशोधन करेंगे।

दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक्ट को चुनौती देते हुए कहा था कि इससे मानवाधिकारों का हनन हो रहा है। सरकार ने अर्जी में कल्याणकारी योजनाओं को आधार से लिंक किए जाने को चुनौती दी थी।

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