ब्लू व्हेल गेम जिंदगी के लिए ख़तरा, डीडी और निजी चैनलों की मदद से इस खतरे को समाप्त करे केंद्र : सुप्रीम कोर्ट
ब्लू व्हेल चैलेंज जैसे गेम्स को बच्चों और युवाओं की जिंदगी के लिए ख़तरा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज दूरदर्शन और निजी चैनलों से प्राइम टाइम में इसके दुष्प्रभावों पर एक प्रोग्राम दिखाने को कहा।
कोर्ट ने कहा कि ये चैनल केंद्र के साथ परामर्श से ऐसा करें।
एडवोकेट स्नेहा कलिता और एनएस पोनैया द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने मामले की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की पीठ से कहा कि सूचना और तकनीक विभाग इस गेम को रोकने में लगा है और उसने कई एजेंसियों को इस बारे में लिखा है और अभी उनके जवाब का इंतज़ार कर रहा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिश्र ने एएसजे नरसिम्हा से कहा, “हमें नहीं पता कि आप इसे कैसे करेंगे, पर आपको इसे करना है ...ब्लू व्हेल गेम जिंदगी के लिए ख़तरा है और जीवन के लिए जो भी ख़तरा बने उसकी इजाजत नहीं दी जा सकती।”
पीठ ने कहा, “दूरदर्शन एचआरडी मंत्रालय, बाल कल्याण मंत्रालय और सूचना तकनीक विभाग के साथ मशविरा कर इस गेम के दुष्प्रभावों पर एक कार्यक्रम तैयार करेगा जिसे वह प्राइम टाइम में दिखाएगा।”
पीठ ने सरकार से कहा कि वह वर्चुअल ब्लू व्हेल चैलेंज को ब्लॉक करने के लिए विशेषज्ञों का एक पैनल बनाए जिसकी वजह से कई लोगों की जान गई है।
कोर्ट ने जीवन के लिए ख़तरनाक और हिंसक समझे जाने वाले साइबर संसार में मौजूद गेम्स जैसे चोकिंग गेम, साल्ट एंड इसे चैलेंज, फायर चैलेंज, कटिंग चैलेंज, आइबॉल चैलेंज और ह्यूमन एम्ब्रायडरी आदि को रोकने पर सरकार का रुख जानना चाहा। फायरवाल एक ऐसी व्यवस्था है जो किसी निजी नेटवर्किंग स्रोत से आने और जाने वाले ट्रैफिक के गैर कानूनी एक्सेस को रोक देता है।
कालिता ने मध्यस्थों विशेषकर नेटवर्क सर्विस देने वाले, इंटरनेट सर्विस देने वाले, वेब होस्टिंग सर्विस देने वाले और साइबर कैफे को सावधानी बरतने संबंधी निर्देश देने और उनसे बेहद नुकसानदेह और जीवन के लिए खतरनाक तथा नैतिक रूप से गिराने वाले गेम्स के बारे में सभी उपभोक्ताओं को सूचित करने और इसके डिस्प्ले, अपलोड और इसको शेयर नहीं करने का निर्देश देने की मांग की।
याचिका ने महिला और बाल विकास मंत्रालय को यह निर्देश देने की मांग की कि युवाओं को इस तरह के गेम्स से दूर रखने के लिए वह कदम उठाए।