राजस्थान सरकार का अध्यादेश : जज और सरकारी नौकर के खिलाफ जांच के लिए सरकारी अनुमति अनिवार्य [अध्यादेश पढ़े]

Update: 2017-10-21 06:52 GMT

राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश पारित किया है जिसके मुताबिक वर्तमान और पूर्व जजों, मजिस्ट्रेट और सरकारी पदों पर बैठे व्यक्तियों की ड्यूटी के दौरान की गई कार्रवाई की छानबीन के लिए सरकारी अनुमति अनिवार्य होगी।

सात सितंबर को क्रिमिनल लॉज ( राजस्थान अमेंडमेंट) आर्डिनेंस, 2017 के सेक्शन 156 और कोड ऑफ क्रिमिनल प्रॉसीजर कोड ( CrPC) के सेक्शन 190 में संशोधन किया है।

सेक्शन 156(3) में जोडे गए नए प्रावधान के मुताबिक कोई मजिस्ट्रेट किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या सरकारी नौकर के खिलाफ सीधे जांच के आदेश नहीं दे सकता। हालांकि Cr.PC के सेक्शन 197 के तहत पिछली अनुमति होने पर इसमें छूट रहेगी। इस प्रावधान में सेक्शन 190 भी जोडा गया है।

इसके तहत सरकारी अथॉरिटी को अनुमति के आग्रह पर 180 दिनों की वक्त सीमा में विचार करना होगा। अगर इस वक्त सीमा में कोई निर्णय नहीं लिया गया तो ये मान लिया जाएगा कि सरकारी अनुमति दे दी गई है।

साथ ही ये अध्यादेश जब तक सरकारी अनुमति नहीं मिल जाती, सरकारी नौकर की पहचान संबंधी मीडिया रिपोर्टिंग पर प्रतिबंध भी लगाता है। इसके मुताबिक जब तक सरकारी अनुमति ना मिल जाए या माना ना जाए कि अनुमति दे दी गई है, किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या सरकारी नौकर की पहचान संबंधी नाम, पता, फोटो या पारिवारिक जानकारी छापी, प्रकाशित या  प्रचारित नहीं की जाएगी।

नए जोडे गए IPC 228B के प्रावधान के तहत इसका उल्लंघन करने पर जुर्माने के साथ दो साल तक की सज़ा हो सकती है।

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