बॉम्बे हाई कोर्ट ने नाबालिग रेप विक्टिम के पिता की उस अर्जी को खारिज किया जिसमें लड़की के 27 हफ्ते की प्रिगनेंसी को गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी [निर्णय पढ़ें]
बॉम्बे हाई कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें रेप विक्टिम लड़की के पिता ने अर्जी दाखिल कर उनकी बेटी के 27 हफ्ते की प्रिगनेंसी को टर्मिनेट करने की गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर अर्जी खारिज कर दी जिसमें मे केईएम अस्पताल, मुंबई के डॉक्टरों ने विक्टिम के गर्भ को जारी रखने की सलाह दी थी।
इस मामले में 2017 में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा-376 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पोक्सो) एक्ट 2012 के तहत केस दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता पिता की ओर से दलील दी गई है कि 16 साल की बेटी है और उसे खून की कमी है और अगर गर्भ को जारी रखने के लिए कहा जाएगा तो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।
हाई कोर्ट के जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस पीडी नायक की बेंच ने मेडिकल एजुकेशन एंड मेजर हॉस्पिटक के डायरेक्टर और जीएस मेडिकल कॉलेज के डीन और केईएम हॉस्पिटल, मुंबई के डॉक्टरों की एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा ताकि बच्ची के हेल्थ कंडिशन को देखा जा सके। डॉक्टरों के पैनल को 13 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया था। शुक्रवार को रिपोर्ट पेश की घई। रिपोर्ट में कहा गया गया कि गर्भ 26 से 27 हफ्ते की है और गर्भ में पल रहा बच्चा सामान्य है। रिपोर्ट में कहा गया कि विक्टिम को थोड़ी सी खून की कमी है। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता की बेटी को गर्भ जारी रखने के लिए कहा जाना चाहिए। साथ ही लड़की को मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सहयोग के लिए भी कहहा गया। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की उक्त रिपोर्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रिगनेंसी एक्ट 1971 के तहत हम इस मामले में दखल देने नहीं जा रहे हैं और याचिका खारिज की जाती है।
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इस मामले में 2017 में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा-376 और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेज (पोक्सो) एक्ट 2012 के तहत केस दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता पिता की ओर से दलील दी गई है कि 16 साल की बेटी है और उसे खून की कमी है और अगर गर्भ को जारी रखने के लिए कहा जाएगा तो उसके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।
हाई कोर्ट के जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस पीडी नायक की बेंच ने मेडिकल एजुकेशन एंड मेजर हॉस्पिटक के डायरेक्टर और जीएस मेडिकल कॉलेज के डीन और केईएम हॉस्पिटल, मुंबई के डॉक्टरों की एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा ताकि बच्ची के हेल्थ कंडिशन को देखा जा सके। डॉक्टरों के पैनल को 13 अक्टूबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया था। शुक्रवार को रिपोर्ट पेश की घई। रिपोर्ट में कहा गया गया कि गर्भ 26 से 27 हफ्ते की है और गर्भ में पल रहा बच्चा सामान्य है। रिपोर्ट में कहा गया कि विक्टिम को थोड़ी सी खून की कमी है। बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि याचिकाकर्ता की बेटी को गर्भ जारी रखने के लिए कहा जाना चाहिए। साथ ही लड़की को मेडिकल और मनोवैज्ञानिक सहयोग के लिए भी कहहा गया। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की उक्त रिपोर्ट और मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रिगनेंसी एक्ट 1971 के तहत हम इस मामले में दखल देने नहीं जा रहे हैं और याचिका खारिज की जाती है।