बच्चे को गलत नियत से घूरना पोक्सो एक्ट के तहत अपराध: बॉम्बे हाई कोर्ट [निर्णय पढ़ें]

Update: 2017-10-03 15:42 GMT

बच्चों को बद नियती से घूरना पोक्सो एक्ट के तहत अपराध है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने उक्त व्यवस्था देते हुए कहा कि कि अगर कोई आदमी यौन कुंठा के ग्रसित होते हुए लगातार किसी बच्चे को घूरता है या देखता है। चाहे ये हरकत सीधे करता हो या फिर परोक्ष रूप से ये पोक्सो एक्ट की धारा-11 के तहत अपराध है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस जेएम बदर की बेंच में इस मामले में विक्टिम की मां और आरोपी ने अर्जी दाखिल की थी पोक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है। दोनों ने पोक्सो एक्ट के तहत चल रही कार्रवाई को खारिज करने की गुहार लगाई थी।

पहले,कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपी की मां के खिलाफ साक्ष्य नहीं है। दरअसल विक्टिम ने कहा था कि 5 फरवरी 2016 को आरोपी वालजी उसे लगातार गलत नजर से देखा और गलत नियत से देखा था।

हाई कोर्ट ने कहा कि ये बताना जरूरी है कि अगर एक आदमी सेक्सुअल नियत से लगातार किसी बच्चे की पीछा करता है या फिर घूरता है या फिर परोक्ष या सीधे संपर्क करता है तो वह पोक्सो एक्ट की धारा-11 केतहत अपराध होगा। जस्टिस बदर ने कहा कि सवाल है कि क्या एक्ट सेक्सुअल नियत का है या नहीं ये देखना होता है। ये बातें साक्ष्यों के तहत आंकलन करना होगा।

याचिकाकर्ता के लिए  पेश एडवोकेट समीर वैद्य ने कहा कि पोक्सो विक्टिम की मां के खिलाफ नहीं लगेगा। साथ ही दूसरे आरोपी वालजी वाधेर के खिलाफ भी आरोप अस्पष्ट है। विक्टिम ने सिर्फ ये कहा था कि बुरीनजर रखता है ऐसे में मामला नहीं बनता।

कोर्ट ने टिप्पणी करते  हुए कहा...

पोक्सो एक्ट की धारा-11 के तहत ये प्रावधान है कि अगर कोई फीमेल चाइल्ड को सेक्सुअल नियत से कोई  घूरता है तो वह अपराध होगा। ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता कि वालजी वाधेर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए साक्ष्य नहीं है। अदालत ने कहा कि पोक्सो एक्ट की धारा-11 के तहत मामला बनता है। अदालत ने वाधेर के खिलाफ केस रद्द करने की अर्जी खारिज करते हुए मामले का निपटारा कर दिया।

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