दिल्ली की अदालत ने उड़ीसा हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस कुद्दुसी को मेडिकल कॉलेज रिश्वतखोरी मामले में दी जमानत
दिल्ली की एक अदालत ने उड़ीसा हाई कोर्ट के रिटायर जस्टिस आईएम कुद्दीसी को जमानत दे दी। कुद्दुस को करप्शन के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
जज मनोज जैन की अदालत ने एक लाख रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि के मुचलके की शर्तों के साथ पूर्व जस्टिस कुद्दुसी को जमानत दी है। इससे पहले इस मामले में एक अन्य आरोपी भावना पांडेय को अंतरिम जमानत दी जा चुकी है। वहीं प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को मैनेज करने वाले बीपी यादव और पलास यादव की जमानत अर्जी पेंडिंग रखी गई है और उस पर 6 अक्टूबर को फैसला आएगा।
इस मामले में एफआईआर दर्ज किया गया था जिसमें आरोप है कि कुद्दुसी ने पांडेय के साथ मिलकर साजिश रची ताकि प्रसाद इंस्टिट्यूशन के मामले को सेटल किया जा सके। प्रसाद इंस्टिट्यूट उन 46 कॉलेजों में से एक है जिसे सरकार ने घटिया रखरखाव और क्राइटेरिया पूरी नही ंकरने के कारण कॉलेज में दाखिले पर एक या दो साल के लिए रोक लगा रखी है। एफआईआर के मुताबिक बीपी यादव कुद्दीसी और पांडेय के संपर्क में थे और एक साजिश के तहत प्रसाद इंस्टिट्यूट के मामले को सेटल किया जाना था।
आरोप है कि कुद्दुसी ने यादव से कहा था कि वह दाखिले पर लगी रोक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी को वापस ले लें और इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल करें। इसके बाद अर्जी सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली गई और मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई। हाई कोर्ट ने मामले में अंतरिम रोक लगा दी। इस फैसले के खिलाफ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। फिर पांडेय ने यादव से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में भी मामले को सेटल करवा देंगी। इसके लिए कहा गया कि एडवोकेट विश्वनाथ अग्रवाल को बतौर वकील रखा जाए। इसके बाद अग्रवाल ने इसके लिए बड़ी कीमत मांगी। साजिशकर्ताओं को दिल्ली में ये रकम देना था। फिर कुद्दुसी, पांडेय, यादव और अग्रवाल के खिलाफ केस दर्ज किया गया। पलास यादव पर आरोप है कि वह बीपी यादव और सुधीर गिरी के साथ प्रसाद इंस्टिट्यूट चलाता था। उसने ही साजिशकर्ताओं की आपस में मीटिंग के लिए सहूलियत उपलब्ध कराई। गिरी वेंकटेश्वर ग्रुप के संस्थापक हैं।