सौर ऊर्जा चलित अदालतों के मामले में झारखंड ने सभी राज्यों को पीछे छोड दिया है। दो साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली सौर ऊर्जा वाली जिला अदालत का शुभारंभ किया था और इसके बाद से झारखंड हाईकोर्ट और झारखंड रिन्युेबल एनर्जी डवलपमेंट एजेंसी (JREDA) तीन अन्य अदालतों में सौर ऊर्जा प्लांट लगा चुके हैं।
साफ और ग्रीन ऊर्जा बिना रुकावट के अदालतों में मिलती रहे इसलिए ये अभियान देवघर, जमतारा, कोडरमा, छतरा और रामघर की पांच जिला अदालतों में भी सौर ऊर्जा प्लांट सुनिश्चित करेगा। यहां साल के अंत तक प्लांट लगा दिए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्तूबर 2015 में पहली सौर ऊर्जा वाली खुंटी जिला अदालत का शुभारंभ किया और इसके बाद अप्रैल 2017 में साहिबगंज में इसका शुभारंभ किया। इसके बाद अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन लोकुर ने गडवाह में तीसरी सौर ऊर्जा कोर्ट की शुरुआत की। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एस ए बोबडे ने पिछले रविवार को झारखंड के सिमदेगा जिले में चौथी सौर ऊर्जा कोर्ट का उदघाटन किया।
सिमदेगा का प्लांट सालाना 12000 यूनिट बिजली उत्पन्न करेगा जो कि कोर्ट के लिए सौ फीसदी है। इसमें एयर कंडीशनर, कंप्यूटर, पंखे, ट्यूबलाइट, स्ट्रीटलाइट, प्रिंटर और बिजली के दूसरे उपकरण लगे हैं। सौर ऊर्जा प्लांट लगने के बाद कोर्ट में बिना रुकावट बिजली मिलती रहेगी। चूंकि जनरेटर इस्तेमाल नहीं होंगे इसलिए ये नया सिस्टम प्रदूषण को नियंत्रित करने में मददगार होगा।
झारखंड हाईकोर्ट के केंद्रीय परियोजना कॉर्डिनेटर प्रभारी संजीव कुमार दास ने कहा कि झारखंड सबसे आगे और देश शायद पहला राज्य है जिसमें चार जिला अदालतें सिर्फ सौर ऊर्जा पर चल रही हैं। छुट्टियों के मौके पर उत्पन्न होने वाली अतिरिक्त बिजली को ग्रिड के जरिए वापस सरकार को दे दिया जाता है। ये पांच साल के रखरखाव के अंतर्गत है। एक सौर ऊर्जा प्लांट 25 साल तक चलता है। ये इसके बाद भी चल सकता है लेकिन फिर इसकी क्षमता घट जाती है।