आसाराम के खिलाफ रेप ट्रायल में देरी क्यों, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मांगा स्टेटस रिपोर्ट
डेरा चीफ गुरुमीत राम रहीम को जिस दिन रेप मामले में सजा सुनाई गई है उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने आसाराम के खिलाफ रेप मामले में ट्रायल धीमा होने पर गुजरात सरकार को फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में कहा है कि वह स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। जस्टिस एनवी रमना की बेंच ने गुजारत सरकार से पूछा है कि ट्रायल में देरी क्यों हुई है। बेंच ने कहा कि रेप मामले में रेप विक्टिम सबसे ज्यादा अहम होती है लेकिन अभी तक उनका बयान नहीं हुआ ऐसा क्यों।
अडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में कोर्ट को बताया कि कई सारी घटनाें हाल में हुई है कई गवाह मारे जा चुके हैं। 2 मुख्य गवाहों सहित 17 गवाहों की हत्या हो चुकी है और कई घायल हो चुके हैं ऐसे में गवाहों की सुरक्षा अहम है। ऐसे में गवाहों की सुरक्षित गवाही की सुनिश्चित की जा रही है। 12 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल जल्दी करने को कहा था और कहा था कि जल्दी गवाही होनी चाहिए लेकिन एेसा नहीं हुआ। विक्टिम की ओऱ से पेश सीनियर एडवोकेट संजय हेडड़े ने कहा कि स्पीडी ट्रायल होना चाहिए और 23 सितंबर से पहले गवाहों के बयान होने चाहिेए। अदालत ने सुनवाई नवंबर के लिए टाल दी है।
गांधीनगर में एक केस चल रहा है जिसमें सूरत की एक महिला ने आरोप लगाया है कि आसाराम बाबू ने उसके साथ कई बार रेप किया था। वह 1997 से लेकर 2006 के बीच अहमदाबाद के आश्रम में रही थी इस दौरान रेप हुआ था। चार्जशीट में आसाराम की पत्नी लक्ष्मी बेन, बेटी भारती, चार अन्य महिला अनुयायी ध्रूवबेन, निर्मला, जस्सी और मीरा को रेप के लिए उकसाने का आरोपी बनाया गया है। पिछले साल मार्च में आसाराम के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।