स्वच्छता का अधिकार है मौलिक अधिकार हिमाचल हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया निर्देश,सभी हाईवे पर बनाए जाए सार्वजनिक शौचालय [निणर्य पढें]
हिमाचल हाई कोर्ट ने कहा है कि स्वच्छता का अधिकार मूल अधिकार है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि वह हाइवे पर पब्लिक टॉयलेट बनाए जाएं।
हिमाचल हाईकोर्ट ने पिछले दिनों माना है कि स्वच्छता के अधिकार को वास्तव में एक संवैधानिक अधिकार के तौर पर स्वीकार कर लिया गया है। मौलिक अधिकार जैसे पानी का अधिकार,स्वास्थ्य का अधिकार,स्वच्छ पर्यावरण का अधिकार,शिक्षा का अधिकार व प्रतिष्ठा का अधिकार सीधे तौर पर स्वच्छता के अधिकार से जुड़े है।
न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि अगर जीने के अधिकार की परिभाषा को विस्तार से देखा जाए तो देश के हर नागरिक को अपनी यात्रा के दौरान सिविक सुविधाएं व मेडिकल एड पाने का हक है,चाहे उसकी यात्रा का साधन कुछ भी हो और वह नेशनल हाईवे से जा रहा हो या स्टेट हाईवे से।
जीने की जरूरत में ही उचित स्वच्छता सुविधा शामिल है। खुले में मलत्याग करना या प्रदूषित पीने के पानी के साथ जीना व प्रदूषित वातावरण में रहने,को प्रतिष्ठा के साथ जीना नहीं माना जा सकता है।
खंडपीठ ने कहा कि इस देश की कई संवैधानिक कोर्ट ने कई तमाम फैसले दिए है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीने के अधिकार की रक्षा करते हुए उसे मौलिक अधिकार माना गया है। कई न्यायिक फैसलों के तहत इस अधिकार के अर्थ या दायरे को विस्तृत किया गया है। जिस कारण जीने के अधिकार व इसकी प्राप्ति में मानवीय प्रतिष्ठा के साथ जीना भी शामिल हो गया है। जिसे देश के हर नागरिक को मूल मौलिक अधिकार के तौर पर दिया गया है।
हाईवे पर सार्वजनिक शौचालय बनाना
एक अन्य मामले पर विचार करते हुए न्यायमूर्ति संजय करोल ने स्टे्टस रिपोर्ट मांगी है। जिसमें पूछा गया है कि हिमाचल प्रदेश में स्थित नेशनल हाईवे व स्टेट हाईवे पर किस तरह की स्वच्छता सुविधाएं उपलब्ध है। सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि एक अनुमान के अनुसार रोजाना हिमाचल प्रदेश में पांच सौ बसें चलती है। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया।
इन तथ्यों को देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह देश के नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं ताकि उनका स्वच्छता का अधिकार प्रभावित न हो। स्टेट या नेशनल हाईवे से यात्रा करने वाले नागरिकों को खुले में शौच करने,नदी या नालों में असंसाधित कचरा फेंकने व दूषित पानी की सप्लाई से बचाया जाना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य के स्टेट या नेशनल हाईवे पर अगर पब्लिक सुविधाएं नहीं होगी तो इससे इससे राज्य के प्रदूषण का स्तर ही बढ़ेगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश टूरिस्ट का पंसीदा राज्य है,इसलिए हर साल देश के अलग-अलग राज्यों व विश्व के अलग-अलग हिस्सों से यहां काफी टूरिस्ट जाते है।
कोर्ट ने कहा कि इस समय स्थिति भयानक है और अगर तुरंत राज्य सरकार ने इस दिशा में उपयुक्त कदम नहीं उठाए तो राज्य के पर्यावरण को काफी नुकसान होगा। इसके अलावा कोई महामारी भी फैल जाए जो राज्य के नागरिकों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह युद्ध स्तर पर इस दिशा में काम करें और सभी स्टेट व नेशनल हाईवे पर कुछ-कुछ दूरी पर सार्वजनिक शौचालय व सुविधाएं आदि उपलब्ध कराए।
कोर्ट ने निम्नलिखित सुझाव दिए है-
1-ऐसे स्थान पर सार्वजनिक शौचालय बनाए जाए,जिन तक आम जनता की आसानी से पहुंच सके या उनको देख सके। इस संबंध में ’ सार्वजनिक शौचालय या निजी शौचालय’ के साइन बोर्ड भी लगाए जाए।
2- सार्वजनिक शौचालय में मुफ्त में सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए और निजी शौचालयों के लिए उनका चार्ज तय किया जाए। सभी शौचालयों में कर्मियों की तैनाती की जाए ताकि वह उनकी साफ-सफाई की व्यवस्था का ध्यान रख सके।
3-इन सुविधाओं तक महिलाओं की पहुंच आसान होनी चाहिए ताकि वह सड़क से पदल चलकर या वाहन से इन तक आसानी से पहुंच सके। यह सुनसान या खतरनाक जगह पर ना बनाए ताकि महिलाओं को इनके प्रयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।
4-इन सुविधाओं में उचित डिस्पोजल सिस्टम होना चाहिए ताकि सैनिटरी नैपकिन आदि को अच्छे से डिस्पोज किया जा सके।
5-महिलाओं की सेफटी व सुरक्षा का ध्यान रखा जाना जरूरी है,इसलिए अगर कोई भी पुरूष या कर्मी महिला शौचालय के बाहर नशे की हालत में बैठा पाया जाए तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।
6-वही अॅथारिटी हाईवे पर बने सभी ढ़ाबे व रेस्टोरेंट के लिए यह अनिवार्य कर सकती है कि वह अपने यहां बने शौचालय आम जनता को प्रयोग करने दे। इसके अलावा अॅथारिटी जब इन ढ़ाबे या रेस्टोरेंट को बनाने की अनुमति दे,तब उसमें यह शर्त लगा सकती है कि उनको अपने यहां शौचालय व विश्राम कक्ष बनाने होंगे और उनमें साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा। अगर वह ऐसा करने में नाकाम रहे तो उनका बिजनेस करने का परमिट रद्द किया जा सकता है।
7-इन सबके अलावा हाईवे पर एमरजेंसी की स्थिति में उपयुक्त स्थानों पर चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध कराई जाए ताकि किसी दुर्घटना या इमरजेंसी की स्थिति में यात्रियों को तुरंत मेडिकल सुविधा मिल सके। यह कहने की जरूरत नहीं है कि इन मेडिकल सेंटर में सभी जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाए ताकि जरूरत के हिसाब से फस्र्ट एड दी जा सके।
8-वहीं अॅथारिटी इस कैंपेन में बसों के चालक व कंडेक्टर को भी शामिल कर सकती है ताकि हाईवे पर वाहन चलाते समय वह अपने वाहनों को ऐसी जगह पर ही रोके जहां पर यात्रियों को रिफरेंसमेंट के साथ-साथ शौचालय आदि की सुविधा भी मिल सके।
9-अॅथारिटी कैंपेन में हिमाचल प्रदेश की पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग या प्राइवेट आॅपरेटर को भी शामिल कर सकती है ताकि वह आम जनता के हित में अपनी सहायता उपलब्ध करा सके।
10-वही इस कैंपेन को सफल बनाने के लिए एक्टिव सिविल सोसायटी आर्गेनाईजेशन व सामाजिक कार्यकताओं को भी शामिल किया जा सकता है क्योंकि वह सभी जमीनी स्तर पर इसको सफल बनाने में मुख्य भूमिका निभा सकते है।