भारतीय कानून के बारे में विदेशी नागरिकों को जागरुक करे एंबेसीः दिल्ली हाई कोर्ट

Update: 2017-06-14 07:41 GMT

दिल्ली हाई कोर्ट ने विदेश मंत्रालय से कहा है कि वह दिल्ली स्थित तमाम एंबेसी से कहें कि वह अपने नागरिकों को भारतीय कानून के बारे में जागरुक करें ताकि इंडिया में गलती से उनके द्वारा कानून का उल्लंघन न हो।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस आर के गाबा की बेंच ने कहा कि कोर्ट के सामने जिस तरह का मामला आया है वैसा मामला अक्सर दर्ज होता है। ऐसे में यह सही होगा कि विदेश मंत्रालय दिल्ली स्थित तमाम हाई कमिशन को सूचित करें कि वह अपने नागरिकों को भारतीय कानून के बारे में जागरुक करें। आर्म्स एक्ट और अन्य तरह के कानून का असावधानी के कारण उल्लंघन न हो।

हाई कोर्ट इस मामले में दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें दो विदेशियों के खिलाफ आम्र्स एक्ट के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी। इनमें से एक नागरिक यूके का और दूसरा केनिया का था। दोनों नागरिक भारत में वैद्य वीजा पर आए थे,परंतु उनको भारत से वापस जाते समय कारतूस के साथ पकड़ा गया था।

अब दोनों ने यह कहते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की मांग की थी कि उनको नहीं पता था कि उनके पास कारतूस है। इसलिए उन्होंने जानबूझकर कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला बने। यूके की नागरिक ने कहा कि आस्ट्रेलिया में उसकी एक दोस्त की गलती के कारण बुलेट उसके बैग में रह गई। वहीं केनिया के नागरिक का कहना था कि उसके पास उनके देश का वैध आर्म्स लाइसेंस है।

कोर्ट ने कहा कि दोनों मामलों में दर्ज प्राथमिकी व जांच में ऐसा कुछ नहीं पाया गया है कि जिससे यह कहा जा सके कि वह जानबूझकर इन बुलेट को अपने साथ लाए थे। इसलिए दोनों नागरिकों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किया जाता है।

कोर्ट ने कहा कि दोनों नागरिकों के वकील ने यह ठीक कहा है कि कोई ऐसा सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित किया जा सके कि उनको इन बुलेट के बारे में जानकारी नहीं थी। ऐसे में इन दोनों को नहीं पता था कि उनके बैग में बुलेट है,इसलिए उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला नहीं बनता है।


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