दिल्ली हाई कोर्ट परिसर में पर्यावरण दिवस मनाया गया और इस दौरान पौधे लगाए गए।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अगुवाई में दिल्ली उच्च न्यायालय के जजों ने विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर दिल्ली हाईकोर्ट के लाॅन में पौधे लगाए। एक दिन पहले ही हाईकोर्ट ने पर्यावरण में अपना योगदान देने के ग्रीन प्लेज को पास किया था। यह पौधे कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल,जस्टिस एस मुरलीधर, जी एस सिस्तानी,विपिन सांघी,सुनील गौड़,प्रतिभा रानी,नजमी वजीरी,एके चावला,पीएस तेजी,आईएस मेहता,विनोद गोयल,रेखा पल्ली,प्रतिभा एम सिंह आदि ने लगाए।
इसके अलावा रजिस्ट्रार जनरल दिनेश शर्मा व रजिस्ट्रार विजिलेंस आदिति चैधरी के निर्देशन में रजिस्ट्री कार्यालय के अधिकारियों ने भी इस काम में अपना योगदान दिया।
जस्टिस मित्तल ने सुबह के समय साकेत कोर्ट परिसर में और शाम के समय पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में भी पौधे लगाए। स्वच्छ भारत अभियान के ग्रीन-ब्लू प्लेज को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट में ब्लू व ग्रीन वेस्टबीन भी लगाए गए,जिसके तहत गीला या नमी वाला कूड़ा ग्रीन बाॅस्केट व सूखा कूड़ा ब्लू बाॅस्केट में ड़ालना जरूरी होगा।
हाईकोर्ट ने इस मामले में बार एसोसिएशन,निचली अदालत व समाज के अन्य तबकों का भी सहयोग लिया। इस अवसर से बेखबर होने की बात से इंकार करते हुए कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट की तरफ से जारी रिलीज में कहा गया है कि पर्यावरण से संबंधित मामलों में न्याय करने के लिए,हमें इस दिशा में अपने संकल्प या प्रतिबद्धता को दर्शाना होगा। इसके लिए अपने चारों तरफ के पर्यावरण को बचाने के लिए कदम उठाकर एक उदाहरण पेश करना होगा।इस रिलीज में उन कदमों को भी विशिष्ट तौर पर बताया गया है जो इस काम को आगे बढ़ाने के लिए उठाए गए है। जिनमें पेपरलेस कामकाज,ई-फाइलिंग,रिकार्ड का डिजिटिलाईजेशन और कोर्ट में बल्ब की जगह एलईडी लगाने आदि के मामले शामिल हैै।
रिलीज में कहा गया है कि विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर एक बार फिर हमें अपनी एकजुटता पर्यावरण के प्रति साबित करनी चाहिए। स्वास्थ्य विज्ञान व पर्यावरण के प्रति अपने जिम्मेदारी को दोहराते हुए हमें पेड़ लगाने के लिए पहल करनी चाहिए। इतना ही नहीं कोर्ट परिसर में सोलर सिस्टम लगाने,जहां संभव हो रेन वाॅटर हार्वेस्टिंग आदि लगाने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। वहीं अपनी कार्यप्रणाली में ई-टैक्नोलाॅजी को शामिल करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। जस्टिस मित्तल ने इस काम में सभी जिला एंव सत्र न्यायाधीश,फैमिली कोर्ट जज,दिल्ली ज्यूडिशियल अकेडमी,दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण,दिल्ली उच्च न्यायालय विधिक सेवा प्राधिकरण व बार एसोसिएशन से भी सहयोग मांगा है। रिलीज में कहा गया है कि यह अभियान तब तक पूरा नहीं होगा,जब तक इसमें समाज के छोटे तबके,शारीरिक व मानसिक रूप से अपाहिज,एसिड अटैक व यौन शोषण के पीड़ितों, ट्रांसजेंडर व समाज के इसी तरह के अन्य तबकों की आवाज को शामिल नहीं किया जाएगा।