सुप्रीम कोर्ट ने दिया नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट को निर्देश वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करे सारी योजनाएं करे अपडेट वेबसाइट को बनाए बहुभाषी
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अॅथारिटी को निर्देश दिया है कि वह नियमित तौर पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट प्रकाशित करें। साथ ही सभी योजनाओं को अपडेट करे व अपनी वेबसाइट को बहुभाषीय बनाए ताकि सभी संबंधित लोगों को इसका फायदा हो सके।
कोर्ट इस मामले में दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी,जिसमें एक गौरव बंसल व दूसरी फाउंडेशन फाॅर रेस्टरेशन आॅफ नेशनल वैल्यू ने दायर की थी। वर्ष 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ व लैंडस्लाइड डिजास्टर की घटना के बाद यह याचिकाएं दायर की गई थी। इन याचिकाओं में दलील दी गई थी कि अगर डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 को प्रभावी तरीके से लागू किया जाता और उत्तराखंड सरकार ने सही तैयारी कर रखी होती तो उस डिजास्टर के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता था।
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि अन्य कई राज्य भी इस तरह के डिजास्टर के पूरी तरह तैयार नहीं है। इसलिए एक्ट को सही तरीके से लागू करने के लिए कोर्ट की तरफ से उचित दिशा-निर्देश दिए जाए।
याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि राज्य सरकारें ने शुरूआती तौर पर जवाब दायर करने में ढ़ीलापन बरता। जिसके बाद फरवरी 2016 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को एक पत्र भेजा,जिसमें कहा गया कि उनको डिजास्टर के पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए न्यूनतम स्टैंडर्ड फ्रेम करने होंगे। इसी बीच कोर्ट ने भी सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से कहा कि वह डिजास्टर से पीड़ित लोगों को खाने,पानी,साफ-सफाई,मेडिकल आदि की सुविधाएं उपलब्घ कराने के लिए अपने न्यूनतम स्टैंडर्ड के हिसाब से दिशा-निर्देश बनाए। वही इस तरह की आपादा में हुई विधवाओं व अनाथ बच्चों के लिए भी विशेष प्रावधान बनाए जाए।
इसके बाद कोर्ट को पिछले महीने सूचित किया गया कि एनडीएमए ने एक्ट की धारा 7 के तहत नेशनल एडवाईजरी कमेटी और एक्ट की धारा 8 के तहत नेशनल एक्ज्यूक्टिव कमेटी का गठन किया है। कोर्ट को यह भी बताया गया कि एनडीएमए की वेबसाइट पर नेशनल प्लान व राहत पहुंचाने के लिए निर्धारित न्यूनतम स्टैंडर्ड के संबंध में दिशा-निर्देश भी प्रकाशित कर दिए गए है।
साथ में कोर्ट ने यह भी पाया कि सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अॅथारिटी का गठन कर दिया गया है। यह भी सूचित किया गया कि आंध्र प्रदेश व तेलांगाना को छोड़कर बाकी राज्यों ने अपने स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान भी बना लिए है।
इसलिए एनडीएमए की तरफ से उठाए गए सभी कदमों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति एम बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि एक्ट के प्रावधानों का पर्याप्त पालन कर लिया गया है।
खंडपीठ ने इस मामले में दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि हम यही कह सकते है कि एनडीएमए के लिए यह जरूरी था कि वह जरूरत के हिसाब से नेशनल लेवल व स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अॅथारिटी का गठन स्टेट लेवल पर कर दे। ताकि अगर दुर्भाग्यवश कोई आपदा आती है तो उस समय पूरी तैयारी हो और संबंधित लोगों को न्यूनतम स्टैंडर्ड की राहत उपलब्ध कराई जा सके।