15 साल पहले ट्रेन दुर्घटना में मारे गए व्यक्ति की विधवा को बाॅम्बे हाईकोर्ट ने दी राहत रेलवे ट्रिब्यूनल के आदेश को किया रद्द
15 साल पहले रेल हादसे में मारे गए शख्स की पत्नी को बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत मिली है।
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने रेलवे ट्रिब्यूनल के खिलाफ दायर एक अपील को स्वीकार कर लिया है। ट्रिब्यूनल ने रेलवे दुर्घटना में 15 साल पहले मारे गए एक व्यक्ति की विधवा के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति आर के देशपांडे ने रेलवे को आदेश दिया है कि वह ममता रानी शिंदे को चार लाख रूपए मुआवजे के तौर पर दे। इसके साथ ही इस राशि पर छह प्रतिशत की दर से ब्याज भी दिया जाए। ब्याज की अवधि की गणना इस मामले में मुआवजे के लिए दायर की अर्जी की तारीख से की जाए।
ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि मृतक श्यामराॅव शिंदे 15 जुलाई 2002 को नागभिड़ से नागपुर जा रहा था। परंतु टिकट नंबर 02391 श्यामराॅव के नाम महुले से केंपालस्ड के बीच का था। इसलिए ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि मृतक की पत्नी यह साबित नहीं कर पाई कि उसका पति एक बोनाफाइड यात्री था,जो घटना वाले दिन नागभिड़ से नागपुर जा रहा था।
अब हाईकोर्ट ने कहा कि रेलवे रूट के महुले व केंपालस्ड,दोनों स्थान नागभिड़ से नागपुर के बीच आते है। इस बात पर भी कोई विवाद नहीं है कि स्पोट पंचनामा बनाया गया था।जिसमें साफ है कि श्यामराॅव का शरीर महुले के रेलवे ट्रैक पर पाया गया था।
न्यायमूर्ति देशपांडे ने कहा कि एक बार जब यह साबित हो गया है कि मृतक उस टेªन में महुले से चढ़ा था और उसके पास टिकट भी था तो इससे यह भी साबित हो जाता है कि वह नागभिड़ से नागपुर वाले रेलवे रूट पर यात्रा कर रहा था। ऐसे में ट्रिब्यूनल का यह कहना गलत है कि मृतक की पत्नी यह साबित नहीं कर पाई कि उसका पति उस रेल दुर्घटना में मरा था। इसलिए मृतक की पत्नी की मुआवजे की मांग वाली अपील को स्वीकार किया जाता है। इसी के साथ रेलवे ट्रिब्यूनल के आदेश को रद्द किया जाता है और रेलवे को आदेश दिया जाता है कि वह दो माह के अंदर मृतक की पत्नी को मुआवजे की पूरी राशि दे दे।