गुजरात हाईकोर्ट ने दी गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता को आरोपी के परिवार के साथ रहने की अनुमति
प्रिगनेंसी टर्मिनेशन के एक ममले में उस समय नाटकीय मोड़ आ गया जब गुजरात हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता को रेप आरोपी के परिवार के पास ले लाए क्योंकि इस मामले में पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि वह अपने बच्चे को जन्म देना चाहती है और आरोपी के परिजनों के साथ रहना चाहती है।
इस मामले में न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था,जिसमें बताया गया था कि लड़की दुष्कर्म की शिकार हुई है और उसे उसका गर्भ गिराने की अनुमति दी जाए क्योंकि इस बच्चे को जन्म देना उसके हित में नहीं होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने पीड़ित लड़की से बात करने के बाद कहा कि इस मामले में दायर अर्जी में तथ्य सही नहीं है। पीड़िता ने खुद साफ किया है कि वह अपना गर्भ नहीं गिराना चाहती है और आरोपी अश्विन के घर अभी से जाकर रहना चाहती है। वह अपने माता-पिता के साथ नहीं रहना चाहती है। सरकारी वकीलों ने पीड़िता को समझाने की कोशिश की और बताया कि उसकी स्थिति बहुत नाजुक है और उसे अपनी मां की देखभाल की जरूरत है।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दायर अर्जी में तथ्य ठीक नहीं है। पीड़िता पूरी तरह अनपढ़ नहीं है। उसने साइंस विषय में बाहरवीं तक की पढ़ाई की है। कोर्ट ने कहा कि जब उसने खुद निर्णय ले लिया है कि वह अपना गर्भ नहीं गिराना चाहती है तो यह मामला यही खत्म हो जाता है क्योंकि वह बालिग हो चुकी है।
लड़की की मां के बारे में कोर्ट ने कहा कि वह दुखी व निराश महिला है,जिसे अपनी बेटी से ज्यादा समाज की चिंता है।
कोर्ट के पूछे जाने पर आरोपी ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह पीड़ित लड़की का पूरा ध्यान रखेगा। जिस पर कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह आरोपी के परिजनों से बात करें और पता करें कि क्या वह इस लड़की का ध्यान रख पाएंगे या नहीं। कोर्ट ने साथ ही साफ किया है कि इस मामले में दिए गए आदेश से अश्विन के खिलाफ चल रहे क्रिमिनल केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा और कानून उस मामले में अपनी कार्रवाई करेगा।