पुलिस स्टेशन बच्चे से मिलने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं, माता-पिता के तनावपूर्ण विवाह के दौरान भावनात्मक बोझ बढ़ाने की आवश्यकता नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Shahadat
27 July 2024 7:03 PM IST
फैमिली कोर्ट के आदेश में संशोधन करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि पुलिस स्टेशन बच्चे से मिलने के लिए उपयुक्त स्थान नहीं है, क्योंकि पुलिस स्टेशन में होने वाले लेन-देन माता-पिता के अलग होने के भावनात्मक तनाव को बढ़ा सकते हैं।
फैमिली कोर्ट द्वारा पुलिस स्टेशन में मिलने के अधिकार की अनुमति देने के आदेश के खिलाफ अपील दायर की गई।
जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की पीठ ने कहा,
“पुलिस स्टेशन को कभी भी ऐसा उपयुक्त स्थान नहीं कहा जा सकता, जहां मिलने के अधिकार की अनुमति दी जा सकती है। किसी भी बच्चे का पुलिस स्टेशन जाना उसके जीवन में वांछनीय घटना नहीं हो सकती है। अनजाने में वह ऐसी घटनाओं और लेन-देन का गवाह बन सकता है, जो उसके पालन-पोषण के लिए अनुकूल नहीं हो सकते हैं। उसे अलग-अलग दृश्यों का सामना करना पड़ सकता है, जो बच्चे के मन को सुखद नहीं लग सकते हैं।”
न्यायालय ने कहा,
“नाबालिग को वयस्क बनने में कई साल लगेंगे, जो सही परिप्रेक्ष्य में जो कुछ भी देखता है, उसे समझ सके। चाहे वह दुर्घटना के शिकार व्यक्ति या हमले के शिकार व्यक्ति की दृष्टि हो या इस्तेमाल की गई भाषा या हथकड़ी। ऐसे सभी अधिकार, हालांकि जीवन का हिस्सा हैं, लेकिन बच्चे द्वारा अपने माता-पिता के तनावपूर्ण विवाह का दंश झेलने के लिए वांछनीय नहीं हो सकते हैं।
न्यायालय ने कहा कि बच्चे को पुलिस स्टेशन में ऐसे दृश्यों का बोझ नहीं डालना चाहिए, जब वह पहले से ही माता-पिता के अलग रहने के आघात से गुजर रहा हो।
न्यायालय ने कहा कि मुलाकात फैमिली कोर्ट, बरेली के परिसर में या संवेदनशील गवाह केंद्र या किसी अन्य स्थान पर की जा सकती है, जिसे फैमिली कोर्ट उचित सुरक्षा व्यवस्था के साथ प्रदान कर सकता है। उस सीमा तक न्यायालय ने पक्षकारों को फैमिली कोर्ट के समक्ष संशोधन आवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: लक्ष्मी प्रकाश बनाम पूजा गंगवार [प्रथम अपील दोषपूर्ण संख्या - 314/2024]