अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के मामले में कस्टमर की ज़िम्मेदारी साबित करने का दायित्व बैंक पर: इलाहाबाद हाईकोर्ट
Shahadat
18 July 2025 6:12 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना कि 6 जून, 2017 को जारी RBI के "ग्राहक संरक्षण - अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन में ग्राहकों की ज़िम्मेदारी सीमित करना" शीर्षक सर्कुलर के तहत अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के मामले में कस्टमर की ज़िम्मेदारी साबित करने का दायित्व बैंक पर है।
उपरोक्त सर्कुलर के खंड 12 का हवाला देते हुए जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने कहा,
"उपरोक्त सर्कुलर का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने पर पता चलता है कि अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के मामले में कस्टमर की ज़िम्मेदारी साबित करने का दायित्व बैंक पर है।"
याचिकाकर्ता पिता-पुत्र की अलग-अलग स्वामित्व वाली फर्में हैं। पिता ने बेटे के खाते में 37,85,000 रुपये हस्तांतरित किए। यह राशि आगे एक तीसरे पक्ष के खाते में ट्रांसफर कर दी गई, जिसके खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने गबन का दावा करते हुए FIR दर्ज कराई। चूंकि अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, इसलिए याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बैंक ऑफ बड़ौदा और भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को गबन की गई राशि दंडात्मक ब्याज सहित वापस दिलाने का निर्देश देने की मांग की।
याचिकाकर्ताओं के डेबिट/क्रेडिट और आईपी पते के विवरण पर गौर करते हुए न्यायालय ने पाया कि लेन-देन पूरी सावधानी से किया गया और वे साइबर धोखाधड़ी के शिकार नहीं है। न्यायालय ने यह भी पाया कि हालांकि याचिकाकर्ताओं को खाते से की गई कटौती की जानकारी थी। फिर भी उन्होंने बैंक को दो दिन बाद सूचित किया, जिससे पता चलता है कि उन्होंने यह कहानी गढ़ी थी।
6 जून, 2017 के RBI द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया कि जब कस्टमर किसी भी अधिकृत लेनदेन के बारे में तीन कार्यदिवसों के भीतर बैंक को सूचित करता है तो उसकी देयता शून्य हो जाती है। इसके अलावा, यह साबित करने का दायित्व बैंक पर है कि कस्टमर अनधिकृत बैंक लेनदेन के लिए उत्तरदायी है।
न्यायालय ने कहा,
"कस्टमर दायित्व सिद्ध करने का दायित्व बैंक पर है। बैंक ने अपने प्रति-हलफनामे में पासबुक, याचिकाकर्ता नंबर 2 द्वारा लाभार्थी को जोड़ने संबंधी दस्तावेज़, याचिकाकर्ता नंबर 2 के आईपी पते का विवरण, याचिकाकर्ता नंबर 2 के इंटरनेट बैंक खाते से समय और डेबिट ट्रांसफर का विवरण और याचिकाकर्ता नंबर 2 द्वारा पासवर्ड में संशोधन दर्शाने वाला दस्तावेज़ प्रस्तुत किया।"
तदनुसार, न्यायालय ने माना कि धन का कोई गबन नहीं हुआ और याचिकाकर्ताओं को अपने खातों में प्रत्येक लेनदेन की जानकारी थी।
आगे कहा गया,
"RBI सर्कुलर कस्टमर सुरक्षा के पहलुओं को शामिल करता है, जिसमें अनधिकृत इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के विशिष्ट परिदृश्यों में उत्पन्न होने वाले जोखिमों और ज़िम्मेदारियों और कस्टमर दायित्व के बारे में कस्टमर को जागरूक करने की व्यवस्था शामिल है। इस सर्कुलर का उद्देश्य ग्राहकों के लिए धोखाधड़ी वाले लेनदेन से सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करना है, न कि व्यक्तिगत लेनदेन की आड़ में तलवार के रूप में।"
यह मानते हुए कि खातों की हैकिंग सिद्ध नहीं हुई, लेकिन याचिकाकर्ताओं की ओर से लापरवाही सिद्ध हुई, न्यायालय ने रिट याचिका खारिज कर दी।
Case Title: SURESH CHANDRA SINGH NEGI AND ANOTHER v. BANK OF BARODA AND OTHERS [WRIT-C NO. 24192 OF 2022]