BHU स्टूडेंट की मौत का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP Police के दो कांस्टेबलों के खिलाफ चार्जशीट की स्टेटस मांगी

Shahadat

28 Nov 2024 10:10 AM IST

  • BHU स्टूडेंट की मौत का मामला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने UP Police के दो कांस्टेबलों के खिलाफ चार्जशीट की स्टेटस मांगी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के 24 वर्षीय स्टूडेंट की मौत के मामले में कथित रूप से शामिल पाए गए दो पुलिस कांस्टेबलों और एक होमगार्ड के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है या नहीं।

    चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने राज्य के वकील को 4 दिसंबर तक निर्देश पूरा करने का समय दिया कि क्या मंजूरी के अनुदान के अनुसार आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई।

    यह मामला एक स्टूडेंट से संबंधित है, जो 2020 में रहस्यमय परिस्थितियों में लापता हो गया था, जिसमें कुछ पुलिसकर्मियों की संलिप्तता के आरोप थे।

    2022 में CB-CID ​​ने अपनी जांच में पाया कि 2020 में स्थानीय पुलिस द्वारा अंतिम संस्कार किया गया शव BHU के एक स्टूडेंट का था। हाईकोर्ट के समक्ष इस दलील ने पुष्टि की कि लापता स्टूडेंट अब जीवित नहीं है।

    अप्रैल, 2024 में यूपी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट को सूचित किया कि उसे BHU लापता स्टूडेंट मामले में तत्कालीन स्टेशन हाउस ऑफिसर बीबी तिवारी, सब इंस्पेक्टर कुंवर सिंह और पीएम त्रिपाठी, हेड कांस्टेबल लक्ष्मीकांत मिश्रा और कांस्टेबल ओम प्रकाश सिंह के खिलाफ कोई पर्याप्त सबूत नहीं मिले हैं।

    अदालत को यह भी बताया गया कि कांस्टेबल एसके सिंह और वीके यादव और होमगार्ड संतोष कुमार के खिलाफ धारा 166 आईपीसी के तहत अपराध करने के लिए पर्याप्त सबूत मिले हैं। सरकार ने उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी भी दे दी है।

    बता दें कि अगस्त 2020 में, BHU के पूर्व स्टूडेंट एडवोकेट सौरभ तिवारी द्वारा स्टूडेंट के लापता होने के संबंध में एक पत्र याचिका दायर करने के बाद हाईकोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया। उसी वर्ष नवंबर में हाईकोर्ट ने जांच CB-CID ​​को स्थानांतरित कर दी।

    पत्र याचिका में दिए गए तथ्यों के अनुसार, स्टूडेंट को 12 फरवरी को एमपी थिएटर ग्राउंड, BHU से कुछ पुलिसकर्मियों द्वारा उठाया गया। उसे पुलिस स्टेशन लंका, जिला वाराणसी ले जाया गया। उनके पिता ने वाराणसी के सीनियर पुलिस अधिकारियों से कई बार शिकायत की, आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

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