इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुराने और अप्रभावी आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए यूपी सरकार की नीति का विवरण मांगा
Avanish Pathak
10 Feb 2025 5:56 AM

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से हलफनामे मांगे हैं, जिसमें पुराने और अप्रभावी आपराधिक मामलों को वापस लेने की राज्य की नीति पर उनके जवाब मांगे गए हैं।
जस्टिस सौरभ लवानिया की पीठ ने सरकार के प्रमुख सचिव (गृह), अभियोजन महानिदेशक और प्रमुख सचिव (विधि) को 19 मार्च तक अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
न्यायालय ने यह आदेश अभियुक्त (मधुकर शर्मा) की याचिका पर विचार करते हुए पारित किया है, जिसमें लखनऊ के एसीजेएम न्यायालय द्वारा पारित आरोपपत्र और समन आदेश (11 फरवरी, 1994) के साथ-साथ दंगा मामले की पूरी कार्यवाही को रद्द करने की मांग की गई थी।
पिछली तारीख (10 जनवरी) को न्यायालय ने शर्मा के खिलाफ इस 34 साल पुराने मामले में पूरी आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी, जबकि मामले को समाप्त करने में राज्य/अभियोजन पक्ष द्वारा की गई अत्यधिक देरी को ध्यान में रखा था।
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार के महानिदेशक (अभियोजन) और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) को राज्य सरकार की मुकदमेबाजी नीति के बारे में अपने हलफनामे दाखिल करने का भी निर्देश दिया था।
उक्त हलफनामों को रिकॉर्ड पर लेते हुए, पीठ ने 30 जनवरी को पुराने और अप्रभावी आपराधिक मामलों को वापस लेने के लिए असम और हिमाचल प्रदेश राज्यों द्वारा तैयार की गई नीतियों की जांच की। इसे उचित पाते हुए, न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई किसी भी समान नीति का विवरण मांगने का फैसला किया।
आरोपी आवेदक की ओर से अधिवक्ता अली बिन सैफ तथा अधिवक्ता कैफ हसन उपस्थित हुए।