हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिज़वी को मारने के लिए फतवा जारी करने के आरोपी मुस्लिम स्कॉलर को मिली जमानत

Shahadat

13 Jan 2024 12:06 PM IST

  • हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिज़वी को मारने के लिए फतवा जारी करने के आरोपी मुस्लिम स्कॉलर को मिली जमानत

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम स्कॉर को जमानत दे दी, जिस पर शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जीतेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी के इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्हें मारने का फतवा जारी करने का आरोप है।

    जस्टिस मोहम्मद फ़ैज़ आलम खान की पीठ ने मौलाना सैयद मोहम्मद शबीबुल हुसैनी को जमानत दे दी, जिन्होंने कथित तौर पर यूट्यूब चैनल पर इंटरव्यू में कहा था, 'कत्ल वाजिब है' कहकर रिजवी को मार देना वांछनीय है।

    अदालत ने यह आदेश इस बात को ध्यान में रखते हुए पारित किया कि आवेदक ने कोई फतवा जारी नहीं किया था। उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है और उन्होंने इंटरव्यू में जो कुछ भी कहा, वह शिया विचारधारा, दर्शन और न्यायशास्त्र के आलोक में कहा गया।

    न्यायालय ने कहा कि प्रासंगिक समय पर आवेदक केवल काल्पनिक स्थिति के घटित होने पर धार्मिक ग्रंथों में निहित प्रावधानों के बारे में सवाल का जवाब दे रहे थे। इस संबंध में उन्होंने 'मुरतद-ए-फितरी' और 'मुरतद-ए-मिल्ली' शब्दों पर प्रकाश डाला। इसकी व्याख्या और इसके बाद उन्होंने स्पष्टीकरण बयान जारी किया था।

    मामला संक्षेप में

    हुसैनी के खिलाफ खुद रिजवी द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप लगाया गया कि उनके खिलाफ फतवा जारी करना मुसलमानों को उनके खिलाफ भड़काकर उन्हें मारने की साजिश है, क्योंकि उन्होंने सनातन धर्म (हिंदू धर्म) स्वीकार कर लिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि फतवा जारी होने और यूट्यूब पर वीडियो अपलोड होने के बाद से उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

    इसके बाद मौलाना हुसैनी पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 115, 120बी, 153ए, 153बी, 386, 504, 505 (2), 506 और आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया गया। इससे पहले जून, 2023 में उन्हें मामले में अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था और अगस्त, 2023 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।

    मामले में जमानत की मांग करते हुए उन्होंने यह कहते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि उक्त इंटरव्यू में आवेदक केवल 'मुरतद-ए-फितरी' और 'मुरतद-ए-मिल्ली' के बीच अंतर समझा रहा था, ये शब्द किसी विशेष अपराध के कुछ अपराधियों के संबंध में इस्तेमाल किए गए थे।

    कथित तौर पर, अपने बयान में आवेदक ने कहा कि इस्लाम इरतेदाद (धर्मत्याग) को सख्त नापसंद करता है, क्योंकि धर्मत्याग का इस्लाम से सीधा टकराव है और मुरतद (धर्मत्यागी) तक जाने के दो रास्ते हैं, एक है मुरतद-ए-फितरी और दूसरा है मुरतद-ए-मिल्ली।

    उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि मुरतद-ए-मिल्ली वह है, जो पहले मुस्लिम नहीं था, मुस्लिम बन गया और फिर काफ़िर (गैर-आस्तिक) बन गया। ऐसे व्यक्ति को मुरतद-ए-मिल्ली कहा जाता है और ऐसे व्यक्ति का पश्चाताप संभव है। ऐसे मुरतदों को तौबा करने का हुक्म दिया जाएगा और अगर वह तौबा न करे तो वह वाजिबुल क़त्ल (उसे क़त्ल करना जायज होगा) है। दूसरा प्रकार है मुरतद-ए-फितरी, यानी जो पहले मुसलमान था और अगर वह दोबारा इस्लाम में आना चाहता है तो ऐसे व्यक्ति को इस्लाम में स्वीकार नहीं किया जाता है और इस व्यक्ति को मुरतद-ए-फितरी कहा जाता है।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां

    अदालत ने कहा कि आवेदक का बचाव यह है कि वह केवल काल्पनिक स्थिति के घटित होने पर धार्मिक ग्रंथों में निहित प्रावधानों से संबंधित सवाल का जवाब दे रहा था। उस संदर्भ में उसने 'मुरतद-ए-फितरी' और 'मुरतद-ए-मिल्ली' शब्दों का इस्तेमाल किया था।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ता (त्यागी) पर खुद नफरत फैलाने वाले भाषण देने का आरोप है और उसके खिलाफ लगभग 30 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

    अदालत ने आगे कहा कि इस मामले में आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। आवेदक इस मामले में 01.08.2023 से बिना किसी पिछले आपराधिक इतिहास के जेल में है और आवेदक की उपस्थिति को ट्रायल कोर्ट के समक्ष रखकर सुरक्षित किया जा सकता है।

    अदालत ने उसे जमानत देते हुए आगे टिप्पणी की,

    “राज्य द्वारा दायर जवाबी हलफनामे के माध्यम से इस न्यायालय के समक्ष ऐसा कुछ भी नहीं रखा गया, जो जांच के दौरान एकत्र की गई सामग्री की तुलना में आवेदक को जेल में और हिरासत में रखने को उचित ठहरा सके। आवेदक के भागने का भी जोखिम नहीं है।''

    केस टाइटल- मौलाना मोहम्मद शबीब हुसैन उर्फ सैयद मोहम्मद शबीबुल हुसैनी बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से. अतिरिक्त. मुख्य सचिव. Lko लाइव लॉ (AB) 18/2024

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




    Next Story