JTRI में फैमिली कोर्ट काउंसलरों के लिए जेंडर सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप आयोजित

Praveen Mishra

11 Dec 2025 3:45 PM IST

  • JTRI में फैमिली कोर्ट काउंसलरों के लिए जेंडर सेंसिटाइजेशन वर्कशॉप आयोजित

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पारिवारिक न्यायालय मामलों की संवेदनशीलता समिति के निर्देशन में न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (जेटीआरआई), उत्तर प्रदेश में आज फैमिली कोर्ट काउंसलरों के लिए एक दिवसीय जेंडर सेंसिटाइजेशन कार्यशाला आयोजित की गई। इस संवादात्मक एवं सहभागी कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए परिवार न्यायालय परामर्शदाताओं ने भाग लिया।

    कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को लिंग की अवधारणा, उससे जुड़े पूर्वाग्रहों और रूढ़ियों के प्रति संवेदनशील बनाना तथा यह समझ विकसित करना था कि लिंग संबंधी धारणाएँ व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर किस प्रकार निर्णय-निर्धारण को प्रभावित करती हैं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित करना कि परामर्शदाता परिवार न्यायालयों में कार्य करते समय समानता और निष्पक्षता पर आधारित आचरण अपना सकें।

    उद्घाटन सत्र

    कार्यशाला का उद्घाटन जेटीआरआई की निदेशक सुश्री रेखा अग्निहोत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि पारिवारिक विवादों के समाधान में काउंसलरों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसलिए लैंगिक संवेदनशीलता उनके व्यावहारिक कार्य का अनिवार्य तत्व होना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि न्यायालयों में सहानुभूति, सम्मान और समानता सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक रूढ़ियों और अवचेतन पूर्वाग्रहों की पहचान और उनके निराकरण की आवश्यकता है। निदेशक ने विश्वास जताया कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों को अपने दैनिक कार्य में जेंडर-सेंसिटिव दृष्टिकोण अपनाने में सहायता करेगी।





    विशेषज्ञों द्वारा संचालित सत्र

    कार्यशाला के विभिन्न सत्र लखनऊ विश्वविद्यालय जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल की विशेषज्ञ टीम —

    प्रो. रोली मिश्रा, डॉ. प्रशांत शुक्ला और डॉ. सोनाली रॉय चौधरी — द्वारा संचालित किए गए।

    1. समाज में लिंग और रूढ़ियाँ – प्रो. रोली मिश्रा

    इस सत्र में लिंग भूमिकाओं की सामाजिक निर्माण प्रक्रिया, सांस्कृतिक प्रभावों, अवचेतन पूर्वाग्रहों की पहचान और उन्हें चुनौती देने की रणनीतियों पर चर्चा हुई। प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लेते हुए समझने का प्रयास किया कि सामाजिक मान्यताएँ न्यायालय की बातचीत व निर्णय प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करती हैं।





    2. प्राचीन भारत में लिंग संवेदीकरण – डॉ. प्रशांत शुक्ला

    इस सत्र में पितृसत्तात्मक संरचनाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, उनके विकास और वर्तमान सामाजिक-कानूनी परिप्रेक्ष्य में उनके प्रभाव का विश्लेषण किया गया। प्रतिभागियों ने आधुनिक पेशेवर अभ्यास में लिंग-पक्षपात की पहचान और उसे संबोधित करने के महत्वपूर्ण तरीकों पर विचार किया।

    3. वैवाहिक विवाद एवं विधिक दृष्टिकोण – डॉ. सोनाली रॉय चौधरी

    सत्र में परिवार न्यायालयों में आने वाले सामान्य विवादों, उनके सामाजिक और लैंगिक कारणों, तथा उपलब्ध कानूनी साधनों पर विस्तृत जानकारी दी गई। परामर्शदाताओं को निष्पक्ष, सहानुभूतिपूर्ण और जेंडर-सचेत दृष्टिकोण अपनाने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

    कार्यशाला का समापन

    कार्यशाला का समापन प्रमाण पत्र वितरण के साथ हुआ।

    यह कार्यक्रम न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित किया गया और इसमें प्रतिभागियों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली।





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