फैमिली कोर्ट काउंसलर्स के लिए जेंडर संवेदीकरण पर एक दिवसीय वर्कशॉप आयोजित
Praveen Mishra
17 Dec 2025 4:41 PM IST

न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश (JTRI), लखनऊ में 14 दिसंबर 2025 को “लिंग संवेदीकरण” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पारिवारिक न्यायालय मामलों की संवेदनशीलता समिति के निर्देशन में आयोजित किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आए पारिवारिक न्यायालय परामर्शदाताओं ने भाग लिया
कार्यशाला का उद्देश्य प्रतिभागियों को लिंग को एक सामाजिक संरचना के रूप में समझने, प्रचलित लैंगिक रूढ़ियों की पहचान करने तथा यह समझ विकसित करने का अवसर देना था कि लिंग आधारित धारणाएँ किस प्रकार व्यक्तिगत व्यवहार और पेशेवर कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं। कार्यक्रम को सहभागितापूर्ण एवं संवादात्मक स्वरूप में आयोजित किया गया, जिससे प्रतिभागियों को आत्म-चिंतन और व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो सके।
कार्यक्रम का उद्घाटन न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान, उत्तर प्रदेश की निदेशक सुश्री रेखा अग्निहोत्री द्वारा किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि लैंगिक संवेदनशीलता मानवता आधारित एक व्यापक अवधारणा है, जिसका अर्थ पुरुषों और महिलाओं—दोनों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाना है। उन्होंने पारिवारिक विवादों के प्रारंभिक चरणों में परामर्शदाताओं की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में कार्य करते समय पूर्वाग्रह-रहित और समानतापूर्ण दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।
कार्यशाला के शैक्षणिक सत्र लखनऊ विश्वविद्यालय के जेंडर सेंसिटाइज़ेशन (GenSen) प्रकोष्ठ से संबद्ध विशेषज्ञों द्वारा संचालित किए गए।
प्रो. रोली मिश्रा ने “समाज में लिंग: पितृसत्ता और रूढ़ियाँ” विषय पर सत्र लेते हुए सामाजिक संरचनाओं और अवचेतन पूर्वाग्रहों के प्रभाव पर प्रकाश डाला।
डॉ. प्रशांत शुक्ला ने “प्राचीन भारत में लिंग संवेदीकरण” विषय पर ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से पितृसत्ता की जड़ों और उसके सामाजिक-कानूनी प्रभावों को स्पष्ट किया।
डॉ. सोनाली रॉय चौधरी ने “वैवाहिक विवादों की प्रकृति और उनके कानूनी उपाय” विषय पर सत्र लेते हुए पारिवारिक न्यायालयों में आने वाले मामलों के सामाजिक, लैंगिक और विधिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यशाला का समापन समापन सत्र के साथ हुआ, जिसके उपरांत प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम ने पारिवारिक न्यायालय परामर्शदाताओं को संवेदनशील, निष्पक्ष और समानता-आधारित काउंसलिंग दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान किया।

