उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विलंबित याचिका महत्वपूर्ण देरी का हवाला देते हुए खारिज की

Amir Ahmad

15 July 2024 6:26 AM GMT

  • उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए विलंबित याचिका महत्वपूर्ण देरी का हवाला देते हुए खारिज की

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग करने वाली याचिका खारिज करते हुए हाल ही में दोहराया कि परिवार के सदस्य की मृत्यु के इतने लंबे समय बाद अनुकंपा नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता।

    यह निर्णय उस मामले में पारित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति की मांग की थी, जो लोक निर्माण विभाग, उत्तराखंड में कार्यभार संभाल रहे थे, जिनका 13 दिसंबर 2000 को निधन हो गया।

    अनुकंपा नियुक्ति देने के पीछे कल्याणकारी राज्य की मंशा पर जोर देते हुए जस्टिस मनोज कुमार तिवारी ने कहा,

    "अनुकंपा नियुक्ति मृतक कर्मचारी के आश्रित परिवार के सदस्यों को दी जाती है, जिससे उन्हें एकमात्र कमाने वाले की असामयिक मृत्यु के कारण अचानक आए वित्तीय संकट से उबरने में मदद मिल सके।"

    याचिकाकर्ता ने अपने पिता की मृत्यु के 20 साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया। उनके आवेदन पर विचार न किए जाने के कारण उन्होंने 2022 में रिट याचिका दायर की, जिसका निपटारा अधीक्षण अभियंता को उनके प्रतिनिधित्व पर निर्णय लेने के निर्देश के साथ किया गया। अधीक्षण अभियंता ने 9 नवंबर 2022 को याचिकाकर्ता का दावा खारिज किया।

    राज्य के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता का दावा बहुत देरी से किया गया, क्योंकि उसके पिता की मृत्यु को 23 साल से अधिक समय बीत चुका था। न्यायालय ने इस दलील में योग्यता पाई और इस बात पर जोर दिया कि अनुकंपा नियुक्तियों का उद्देश्य मृतक कर्मचारी के परिवार के सामने आने वाले अचानक वित्तीय संकट को कम करना है।

    जस्टिस तिवारी ने आदेश पारित करते हुए कहा,

    "याचिकाकर्ता और उसके परिवार के सदस्य 23 साल तक जीवित रहने में कामयाब रहे हैं। इस प्रकार, विवादित आदेश में हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं है।"

    इसके अलावा, याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय से अनुरोध किया कि वह सक्षम प्राधिकारी को याचिकाकर्ता की दैनिक वेतनभोगी के रूप में नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश देते हुए आदेश पारित करे।

    इस पर विचार करते हुए न्यायालय ने रिट याचिका का निपटारा करते हुए अधीक्षण अभियंता को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता की दैनिक वेतनभोगी के रूप में नियुक्ति के अनुरोध पर विचार करें और कानून के अनुसार उचित निर्णय लें।

    तदनुसार याचिका का निपटारा कर दिया गया।

    केस टाइटल: ईश्वर सिंह बनाम उत्तराखंड राज्य

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