POCSO Act | बच्चे को प्राइवेट पार्ट दिखाना, गंदी फिल्में दिखाना प्रथम दृष्टया 'यौन उत्पीड़न': उत्तराखंड हाईकोर्ट

Shahadat

20 July 2024 10:38 AM GMT

  • POCSO Act | बच्चे को प्राइवेट पार्ट दिखाना, गंदी फिल्में दिखाना प्रथम दृष्टया यौन उत्पीड़न: उत्तराखंड हाईकोर्ट

    उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे को प्राइवेट दिखाना, उसे गंदी फिल्में दिखाना, प्रथम दृष्टया बच्चे का 'यौन उत्पीड़न' माना जाएगा। यह POCSO Act की धारा 11 के साथ धारा 12 के तहत अपराध है।

    जस्टिस रवींद्र मैथानी की पीठ ने हरिद्वार के एडिशनल सेशन जज/स्पेशल जज (POCSO) का आदेश बरकरार रखते हुए यह टिप्पणी की। उक्त आदेश में व्यक्ति/याचिकाकर्ता को अपने बेटे का कथित रूप से यौन उत्पीड़न करने के लिए POCSO Act की धारा 11/12 के तहत आरोपों ठहराया गया।

    संक्षेप में मामला

    उस व्यक्ति के खिलाफ मामला उसकी पत्नी (प्रतिवादी नंबर 2) द्वारा दर्ज कराया गया। उसकी शादी दिसंबर 2010 में हुई थी, उसने दावा किया कि उसके पति ने उसकी इच्छा के विरुद्ध प्रतिवादी के साथ बार-बार गुदा मैथुन किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं और रक्तस्राव हुआ, जिसके लिए उसे कई अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ा।

    अपनी चोटों के बावजूद, याचिकाकर्ता ने शारीरिक हमले और जबरन यौन क्रियाकलापों सहित अपनी हरकतें जारी रखीं।

    उसने यह भी आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता (पति) ने अपने लैपटॉप पर स्पष्ट सामग्री दिखाकर अपने 8 से 10 महीने के बच्चे के साथ अनुचित व्यवहार किया, जिससे प्रतिवादी नंबर 2 (पत्नी) गुदा मैथुन या जबरन मुख मैथुन से संबंधित उसकी मांगों के आगे झुक जाए।

    एफआईआर में यह भी आरोप लगाया गया कि वह बहुत अजीब व्यवहार करता था, घर में चीजें फेंकता था, कमरे के सामने पेशाब करता था, छोटे बच्चे को अपना निजी अंग दिखाता था और बच्चे के सामने जबरन मुख मैथुन करता था।

    एफआईआर और समन आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा कथित तौर पर किए गए कृत्य में पीड़िता के प्रति यौन इरादा नहीं था।

    यह तर्क दिया गया कि लैपटॉप पर गंदे दृश्य दिखाने का उद्देश्य बच्चे का यौन उत्पीड़न नहीं था, बल्कि उसकी मां, प्रतिवादी नंबर 2 पर याचिकाकर्ता के आदेशों का पालन करने के लिए दबाव डालना था। इस प्रकार, यह प्रस्तुत किया गया कि POCSO Act के तहत कोई अपराध नहीं किया गया।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां

    न्यायालय ने याचिकाकर्ता के वकील की दलीलों पर विचार करते हुए पाया कि बच्चे की मां (प्रतिवादी नंबर 2/याचिकाकर्ता की पत्नी) ने धारा 164 सीआरपीसी के तहत बयान दिया, जिसमें उपरोक्त सभी आरोप लगाए गए।

    न्यायालय ने आगे कहा कि बच्चे की भी जांच की गई, जिसमें उसने कहा कि उसके पिता गंदी गंदी चीजें करते हैं और गंदे वीडियो दिखाते हैं।

    इन टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने कहा कि आरोपी याचिकाकर्ता की यौन मंशा को POCSO Act की धारा 30 के तहत माना जाएगा।

    न्यायालय ने आगे कहा,

    "बच्चे के सामने उसके गुप्तांगों का प्रदर्शन, उसे गंदी फिल्में दिखाना, जैसा कि बच्चे ने खुद कहा है, प्रथम दृष्टया POCSO Act की धारा 11 के साथ धारा 12 के तहत अपराध बनता है।"

    इसके मद्देनजर, न्यायालय ने POCSO Act की धारा 11 के साथ धारा 12 के तहत अपराध के संबंध में आरोपित समन आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार किया।

    केस टाइटल- डॉ. कीर्ति भूषण मिश्रा बनाम उत्तराखंड राज्य और अन्य

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