BREAKING| Waqf Amendment Act 2025 : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों का नामांकन बरकरार रखा, इन प्रावधानों पर लगाई रोक
Shahadat
15 Sept 2025 10:59 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने (14 सितंबर) वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के कुछ प्रावधानों पर रोक लगाई।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की खंडपीठ ने निम्नलिखित प्रावधानों में हस्तक्षेप किया-
1. धारा 3(1)(आर) के प्रावधान, जिसके अनुसार किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए 5 साल तक इस्लाम का पालन करना आवश्यक है, उसको राज्य सरकारों द्वारा इस शर्त के निर्धारण के संबंध में नियम बनाने तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
2. सरकार के नामित अधिकारी को यह तय करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगा दी गई कि क्या किसी वक्फ संपत्ति ने सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण किया। यह देखते हुए कि एक कार्यकारी अधिकारी को नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों का न्याय करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन होगा। हालांकि, जब तक ट्रिब्यूनल द्वारा न्यायनिर्णयन नहीं हो जाता, तब तक किसी भी पक्ष के विरुद्ध किसी तीसरे पक्ष के अधिकार का सृजन नहीं किया जा सकता।
3. वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों के नामांकन की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक नहीं लगाई गई। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि जहाँ तक संभव हो, बोर्ड का पदेन सदस्य एक मुस्लिम व्यक्ति होना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद में 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे, और राज्य वक्फ बोर्ड में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे।
अदालत ने पंजीकरण अनिवार्य करने वाले प्रावधान में हस्तक्षेप नहीं किया और कहा कि यह कोई नई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह शर्त 1995 और 2013 के पिछले अधिनियमों में भी है। हालांकि, न्यायालय ने पंजीकरण की समय-सीमा बढ़ा दी है (जिसकी जानकारी निर्णय अपलोड होने के बाद मिलेगी।)
अदालत ने पक्षकारों की तीन दिनों तक सुनवाई करने के बाद 22 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। ये याचिकाएं संसद द्वारा 2025 में पारित संशोधनों द्वारा वक्फ कानून में किए गए व्यापक बदलावों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए दायर की गईं।
अप्रैल में पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा कुछ प्रावधानों पर प्रथम दृष्टया आपत्तियां व्यक्त करने के बाद केंद्र ने यह वचन दिया कि मामले के लंबित रहने तक राज्य वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषदों में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं की जाएगी। केंद्र ने यह भी सहमति व्यक्त की कि किसी भी वक्फ, जिसमें उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ भी शामिल है, चाहे वह अधिसूचना द्वारा या पंजीकरण द्वारा घोषित किया गया हो, उसको गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा और न ही उनके स्वरूप या स्थिति में कोई बदलाव किया जाएगा।
AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली आप विधायक (AAP MLA) अमानतुल्लाह खान, नागरिक अधिकार संरक्षण संघ, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, TMC सांसद महुआ मोइत्रा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, RJD सांसद मनोज कुमार झा, सपा सांसद जिया उर रहमान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, DMK आदि कुछ याचिकाकर्ता हैं।
भाजपा के नेतृत्व वाले पांच राज्यों- असम, राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, हरियाणा और महाराष्ट्र ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप याचिकाएं दायर की हैं। हाल ही में, केरल राज्य ने भी 2025 के संशोधन का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप याचिका दायर की।
सभी याचिकाओं में चुनौती दिए गए सामान्य प्रावधान
'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' प्रावधान को हटाना, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, वक्फ के निर्माण के लिए 5 वर्ष तक प्रैक्टिसिंग मुस्लिम होने की पूर्व शर्त, सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण से संबंधित विवादों का निपटारा सरकार को करने की अनुमति, वक्फ अधिनियम पर परिसीमा अधिनियम का लागू होना, ASI संरक्षित स्मारकों पर बनाए गए वक्फ को अमान्य करना, अनुसूचित क्षेत्रों में वक्फ बनाने पर प्रतिबंध, परिषद और बोर्डों में महिला सदस्यों की संख्या दो तक सीमित करना, वक्फ-अल-औलाद को कमजोर करना, वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर "एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास" करना, ट्रिब्यूलन के आदेश के विरुद्ध अपील का प्रावधान आदि कुछ ऐसे प्रावधान हैं, जिन्हें चुनौती दी गई।
Case Details: IN RE THE WAQF (AMENDMENT)w ACT, 2025 (1)|W.P.(C) No. 276/2025

