अनुमत खाद्य पदार्थों में कृत्रिम पीले रंग 'टारट्राजीन' का उपयोग मिलावट का अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

26 Aug 2024 11:52 AM GMT

  • अनुमत खाद्य पदार्थों में कृत्रिम पीले रंग टारट्राजीन का उपयोग मिलावट का अपराध नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया आदेश में माना कि दाल मूंग धुली जैसे खाद्य पदार्थों में कृत्रिम पीले खाद्य रंग-टारट्राजीन का उपयोग खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 (PFA Act) के तहत अपराध के रूप में दंडनीय नहीं।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एनके सिंह की खंडपीठ ने अपीलकर्ता की सजा को गलत माना, क्योंकि खाद्य अपमिश्रण निवारण नियम, 1955 (नियम 1955) के तहत टारट्राजीन के उपयोग की अनुमति थी।

    अपीलकर्ता को 16 अगस्त, 2011 को ट्रायल कोर्ट द्वारा सिंथेटिक खाद्य रंग- टारट्राजीन (कृत्रिम पीला रंग) से लेपित 15 किलोग्राम दाल मूंग धुली रखने के लिए PFA Act (मिलावट के लिए दंड) की धारा 16 के तहत खाद्य मिलावट के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया। यह सजा लैब में 750 ग्राम दाल के सैंपल जांच पर आधारित थी, जिसमें टारट्राजीन पाया गया था।

    ट्रायल कोर्ट ने अपीलकर्ता को छह महीने के कठोर कारावास और 1000/- रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी, जिसे हालांकि PFA Act की धारा 16 के साथ धारा 7 के अनुसार 10,000/- रुपये के जुर्माने के साथ तीन महीने में संशोधित किया गया।

    बाद में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा 04.12.2013 को अपील और 18.03.2019 को पुनर्विचार में दोषसिद्धि को चुनौती देने वाली चुनौतियों को खारिज कर दिया गया। इसके बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। तर्क दिया कि दोषसिद्धि पूरी तरह से अनुचित थी, क्योंकि टार्ट्राजिन खाद्य अपमिश्रण निवारण नियम, 1955 (1955 के नियम) के तहत अनुमत खाद्य रंग था।

    अदालत को यह भी बताया गया कि अपीलकर्ता जो 60 वर्ष का है, पहले ही 1 महीने और 8 दिन जेल में बिता चुका है और वर्तमान में जमानत पर बाहर है।

    अदालत ने नोट किया कि 1955 के नियम 28 में सिंथेटिक खाद्य रंग के रूप में टार्ट्राजिन के उपयोग की अनुमति है। यह देखते हुए कि अधिकारियों द्वारा जांचे गए 750 ग्राम दाल के सैंपल में अनुमत खाद्य रंग मौजूद था, अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को गलत माना गया।

    आगे कहा गया,

    "नियम को पढ़ने पर यह स्पष्ट है कि टार्ट्राजीन सनसेट येलो एफसीएफ जो कि पीले रंग का है, स्वीकृत सिंथेटिक खाद्य रंग है, जिसे भोजन पर लगाया जा सकता है। इस मामले में दाल मूंग धुली के 750 ग्राम के सैंपल, जिसका लैब में ट्रायल किया गया, उसमें भी पाया गया कि उक्त सैंपल पर टारट्राजीन के सिंथेटिक खाद्य रंग का उपयोग किया गया। परिणामस्वरूप, कुल 15 किलोग्राम की मात्रा में जो बिक्री के लिए अपीलकर्ता के कब्जे में पाई गई। चूंकि नियम 29 उक्त खाद्य रंग की अनुमति देता है, इसलिए धारा 16 के तहत अपीलकर्ता की सजा गलत है।"

    नियम 28 में 4 स्वीकृत खाद्य रंगों (लाल, पीला, नीला, हरा के कृत्रिम रंग) की सारणी दी गई, जिसमें 'टारट्राजीन सनसेट येलो एफसीएफ' भी शामिल है।

    नियम 29 उन खाद्य पदार्थों को सूचीबद्ध करता है, जिनमें या जिन पर अनुमत खाद्य रंग लगाया जा सकता है। इसमें बिस्किट वेफर, पेस्ट्री, केक, कन्फेक्शनरी, थ्रेड कैंडीज, मिठाई, नमकीन (दाल मोठ, मोंगिया, फुलगुलाब, साबूदाना पापड़, दाल बीजी) शामिल हैं।

    न्यायालय ने निचली अदालतों द्वारा अपीलकर्ता की दोषसिद्धि रद्द करने का आदेश दिया।

    न्यायालय ने कहा,

    "इसलिए प्रथम अपीलीय न्यायालय का आदेश बरकरार रखने वाले हाईकोर्ट के आदेश के साथ-साथ ट्रायल कोर्ट द्वारा अपीलकर्ता को उपरोक्त अपराधों के लिए दोषी ठहराए जाने को रद्द किया जाता है।"

    केस टाइटल: महेश चंदर @ महेश चंद बनाम हरियाणा राज्य (@SLP (CRL.) संख्या 4706/2019)

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